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हाथ मिल गए, दिल नहीं! क्या बीजेपी से नाराज हैं नीतीश कुमार? लंबी खामोशी के पीछे की क्या है वजह

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हाल में देखें तो पूरी तरीके से चुप नजर आ रहे हैं। उनके सार्वजनिक कार्यक्रम भी बहुत ज्यादा नहीं दिखाई दे रहे हैं। हाल के दिनों में वह दो दिन पटना के विभिन्न क्षेत्रों के दौरे पर थे जहां बाढ़ का पानी आया हुआ है। हालांकि उन्होंने पूरी तरीके से मीडिया से दूरी बना रखी है। मीडिया में नीतीश कुमार का बड़ा बयान बजट के दिन आया था जब उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा पेश किए गए बजट पर अपनी प्रतिक्रिया दी थी। हालांकि, उसमें भी बहुत ज्यादा उत्साह नहीं दिखा था। ऐसे में नीतीश कुमार की खामोशी कुछ ना कुछ संदेश और संकेत देने की कोशिश कर रही है। लेकिन नीतीश की खामोशी की असली वजह क्या है, इसको समझने की कोशिश कर रहे हैं। 
 

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केंद्र सरकार द्वारा वक्फ संशोधन विधेयक शायद नीतीश कुमार को बहुत ज्यादा पसंद नहीं आ रहा है। भले ही वह भाजपा के साथ गठबंधन में हैं। लेकिन उन्होंने मुस्लिम वोटो की उम्मीद नहीं छोड़ी है। शायद इसी वजह से वह लगातार मुस्लिम वोटो को साधने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में वक्फ बोर्ड को लेकर जो केंद्र सरकार द्वारा बिल लाया गया है, वह नीतीश को असहज कर रहा है। पार्टी के मुस्लिम नेता भी इसके खिलाफ बोल रहे हैं। भले ही गठबंधन धर्म को निभाते हुए संसद में जदयू के ललन सिंह ने इसके पक्ष में जबरदस्त तरीके से हुंकार भरी। लेकिन कहीं ना कहीं जदयू इस बात पर अपनी खुशी दिख रही है कि यह मामला जेपीसी के पास चला गया। नीतीश कुमार को लगता है कि इस तरह के बिल की वजह से उनके अल्पसंख्यक वोट खिसक सकते हैं। 

नीतीश कुमार लगातार जातीय जनगणना कराने के पक्ष में है। लेकिन केंद्र सरकार की ओर से इस पर कोई बड़ा कदम अब तक नहीं उठाया गया है। इसके अलावा उन्होंने बिहार में जातिगत जनगणना कराकर उसी हिसाब से आरक्षण देने का भी काम किया। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट में आरक्षण बढ़ाने का मामला अटक गया। ऐसे में नीतीश कुमार को इसका श्रेय नहीं मिल रहा है। साथ ही साथ केंद्र सरकार से इस मामले को लेकर उन्हें समर्थन भी नहीं मिल रहा है। कोट में कोटा आरक्षण को लेकर नीतीश कुमार शुरू से इसके बड़े पक्षधर रहे हैं। हालांकि उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया जब दलित सब कोटा फैसले को लागू करने से केंद्र सरकार ने इनकार कर दिया। शायद इस वजह से भी नीतीश बहुत खुश नहीं है। 
 

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प्रशांत किशोर का मामला भी नीतीश कुमार को बहुत परेशान कर रहा है। प्रशांत किशोर लालू यादव और तेजस्वी यादव पर तो हमलावर रहते ही हैं, नीतीश कुमार पर भी निशाना साधने का मौका नहीं छोड़ रहे हैं। हालांकि, प्रशांत किशोर भाजपा पर उस तरीके से हमलावर नहीं दिख रहे हैं। आरजेडी तो लगातार प्रशांत किशोर को बीजेपी की बी टीम बता रही है। वहीं, प्रशांत किशोर की गतिविधियों को लेकर भाजपा ने भी रहस्यमय चुप्पी साध रखी हैं। ऐसे में कहीं ना कहीं यह नीतीश कुमार को परेशान कर रहा है। नीतीश कुमार के लिए परेशानी इसलिए और बढ़ गई है क्योंकि प्रशांत किशोर ने 40% महिलाओं को टिकट देने का ऐलान किया है। महिलाओं का वोट बैंक पूरी तरीके से नीतीश कुमार के साथ रहा है। 

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