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Prajatantra: मोदी और पटनायक के बीच की दूरी Odisha में सियासी मजबूरी है या जरूरी?

ओडिशा में एक साथ चल रहे चुनावों में भारतीय जनता पार्टी और बीजू जनता दल के बीच तीखे शब्दों का आदान-प्रदान खूब हो रहा है। जहां बीजू जनता दल मतदाताओं के साथ भावनात्मक जुड़ाव बनाए रखने के लिए मुख्यमंत्री नवीन पटनायक पर व्यक्तिगत हमलों का मुद्दा उठा रही है। वहीं, विकास के बहाने भाजपा नवीन पटनायक को पूरी तरह से घेरने की कोशिश कर रही है। भाजपा ओडिया अस्मिता (उड़िया गौरव) का मुद्दा उठा रही है और तमिलनाडु में जन्मे पांडियन पर पटनायक को नियंत्रित करने का आरोप लगा रही है, और राजनीतिक लाभ उठाने के लिए ‘ओडिया बनाम गैर-ओडिया’ कथा बनाने की कोशिश की है।
 

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गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा चुनाव के पांच चरण पूरे होने के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को 310 सीट मिलने का दावा करते हुए ओडिशा के लोगों से अपील की कि वे राज्य को ‘‘बाबू-राज’’ से आजाद कराएं और भाजपा को केंद्र एवं राज्य दोनों में सरकार बनाने के लिए समर्थन दें। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य में ‘‘मुट्ठी भर अधिकारियों’’ का शासन है। शाह ने राज्य में बीजू जनता दल (बीजद) की सरकार पर ओडिशा के गौरव, भाषा, संस्कृति और परंपरा का अपमान करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि वह राज्य की संस्कृति और गौरव का गला घोंट रहे हैं। शाह ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री नवीन पटनायक राज्य के ‘‘खनिज संसाधनों को लूटने’’ में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि वह राज्य में सत्तारूढ़ बीजू जनता दल (बीजद) के खिलाफ सत्ता विरोधी बहुत मजबूत लहर देख रहे हैं जिसके कारण इस क्षेत्रीय दल के लिए टिके रहना अब बहुत मुश्किल है। उन्होंने कहा कि ओडिशा में सत्तारूढ़ बीजू जनता दल (बीजद) अस्त हो रहा है जबकि विपक्षी कांग्रेस पस्त है, लिहाजा लोग भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को लेकर आश्वस्त हैं।

ओडिशा के मुख्यमंत्री और बीजू जनता दल (बीजद) के अध्यक्ष नवीन पटनायक ने कहा कि राज्य में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार बनाने का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का दावा ‘दिन में सपने’ देखने जैसा है। पटनायक ने भाजपा नेताओं पर चुनाव से पहले झूठ फैलाने और घड़ियाली आंसू बहाने का आरोप लगाया। पटनायक ने भाजपा नेताओं पर वार करते हुए कहा कि ‘राजनीतिक पर्यटकों’ का ओडिशा की जनता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि ‘‘भाजपा के झूठ के खिलाफ विकास ही उनका एकमात्र हथियार है।’’ बीजद के नेता और मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के करीबी सहायक वी के पांडियन ने आरोप लगाया कि भाजपा जीत के लिए नहीं, बल्कि चुनाव के बाद बीजद को तोड़ने के इरादे से अपनी सीटों की संख्या बढ़ाने के लिए ओडिशा में चुनाव लड़ रही है। उन्होंने भाजपा को ओडिशा के लिए मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने की चुनौती देते हुए दावा किया कि अगर भाजपा राज्य में अपने मौजूदा नेताओं में से किसी को भी नामित करती है तो उसे 10 प्रतिशत से भी कम वोट मिलेंगे।

कांग्रेस ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री नवीन पटनायक एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। रमेश ने सवाल भी किया कि प्रधानमंत्री बीजद के साथ अपनी पार्टी के वास्तविक संबंधों को लेकर झूठ क्यों बोलते हैं? रमेश ने आरोप लगाया कि भाजपा की केंद्र सरकार और उनकी बी-टीम राज्य सरकार ने मिलकर इन दोनों नदियों को पूरी तरह ज़हरीला बना दिया है। कांग्रेस नेता पायलट ने नवीन पटनायक के नेतृत्व वाली बीजू जनता दल (बीजद) सरकार पर निशाना साधा और उस पर ठीक से काम नहीं करने’’ का आरोप लगाया। उन्होंने आरोप लगाया कि ओडिशा में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार व्याप्त है।’’ उन्होंने आरोप लगाया कि बीजद और भाजपा दोनों के साझा हित हैं जो उनके पिछले कृत्यों में परिलक्षित होते हैं।
 

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अभी से 2 महीने पहले तक इस बात की उम्मीद करना भी मुश्किल लग रहा था कि चुनावी मौसम में बीजद और भाजपा के बीच इतनी कड़वाहट देखने को मिलेगी। लेकिन यह कड़वाहट सिर्फ दोनों पार्टियों के बीच नहीं है बल्कि दोनों दलों के सर्वोच्च नेताओं के बीच भी दिखाई दे रही है। एक ओर जहां नरेंद्र मोदी नवीन पटनायक पर निशाना साधने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। तो वहीं दूसरी ओर उनकी ओर से भी पलटवार किया जा रहा है। ऐसे में बड़ा सवाल यही है कि आखिर दोनों के बीच इतनी कड़वाहट क्यों? कई मौकों पर केंद्र की मोदी सरकार को नवीन पटनायक की पार्टी ने समर्थन दिया है। पीएम मोदी खुद नवीन पटनायक को अपना मित्र बता चुके हैं। वहीं नवीन पटनायक ने भी मोदी सरकार को 10 में से 8 नंबर दिया था। दोनों दलों के बीच गठबंधन को लेकर भी बातचीत हुई थी लेकिन बात बन नहीं पाई थी। कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कड़वाहट सिर्फ चुनाव भर के लिए है। चुनाव बाद दोनों दलों के बीच पहले जैसे ही संबंध बने रहेंगे। इसमें एक फैक्टर कांग्रेस का भी है। अगर बीजेडी और बीजेपी एक साथ मिलकर चुनाव लड़ते तो कांग्रेस को इसका फायदा मिल सकता था और वह राज्य में अपना जन आधार बढ़ा सकते थी।

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