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Shimla में Muslims ने जो कुछ किया क्या उसमें देश के लिए कोई गंभीर चेतावनी है?

पिछले कुछ वर्षों से देश में विभिन्न क्षेत्रों का जनसांख्यिकी संतुलन बिगाड़ने के लिए जो सुनियोजित अभियान चलाया गया उसके दुष्परिणाम रह रहकर सामने आते रहते हैं। मगर देश की रक्षा-सुरक्षा से जुड़े इस महत्वपूर्ण विषय का हल निकालने की बजाय खुद को सेक्युलर बताने वाले दल और नेता उन साजिशकर्ताओं के पक्ष में खड़े हो जाते हैं जो गजवा ए हिंद चाहते हैं। आज यह स्थिति है कि आप किसी भी राज्य की बात कर लीजिये वहां हिंदू बहुल इलाकों में अचानक अल्पसंख्यकों की संख्या बढ़ती जा रही है। यह बाहरी लोग कहां से आ रहे हैं, कौन इन्हें ला रहा है, कैसे आसानी से इन्हें रहने के लिए जगह मिल जाती है, कैसे इन्हें रोजगार के लिए दुकानों के सामने पटरी पर सामान बेचने की इजाजत मिल जाती है? इन सब सवालों के जवाब सब लोग जानते ही हैं। यही नहीं, एक और खेल चल रहा है कि पहले हिंदू बहुल इलाकों में दूसरे धर्म के स्थल का अस्थायी ढांचा खड़ा किया जाता है। फिर उसे स्थायी किया जाता है। फिर उसका विस्तार किया जाता है। खास बात यह है कि जब अस्थायी ढांचा खड़ा हो रहा होता है तब उसे कोई गंभीरता से नहीं लेता। जब तक अस्थायी ढांचा स्थायी में बदलता है तब तक लोगों को उसकी आदत पड़ चुकी होती है इसलिए तब भी कोई कुछ नहीं बोलता। लोग बोलना तब शुरू करते हैं जब उस ढांचे का विस्तार हो रहा होता है। यहां एक बात और गौर करने लायक है कि जब विस्तार का विरोध होता है तो अक्सर विस्तार कार्य को रोक दिया जाता है ताकि लोग चुप हो जायें। लेकिन इस पूरी प्रक्रिया में एक अवैध ढांचे को वैधता मिल चुकी होती है।
हम आपको यह भी बता दें कि अभी एक दिन पहले ही कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अल्पसंख्यकों, विशेषकर मुसलमानों पर ‘‘लगातार हो रहे हमलों’’ को लेकर भाजपा सरकार पर ‘‘मूकदर्शक’’ बने रहने का आरोप लगाया और ऐसी घटनाओं में शामिल ‘‘अराजक तत्वों’’ के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। लेकिन राहुल गांधी यह भूल गये कि उनकी पार्टी द्वारा शासित हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में क्या हो रहा है? हम आपको बता दें कि अपने प्राकृतिक सौंदर्य और हसीन मौसम के लिए जाने जाना वाले शिमला के उपनगर संजौली में रविवार को सैंकड़ों लोगों ने एक मस्जिद के ‘‘अवैध’’ निर्माण तथा शहर के मलाणा इलाके में एक कारोबारी पर हुए हमले के खिलाफ प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने कारोबारी पर हमला करने वालों के खिलाफ हत्या के प्रयास का मामला दर्ज करने की मांग की। उन्होंने अवैध ढांचे को ध्वस्त करने की भी मांग की। हम आपको बता दें कि शुक्रवार को हुए हमले में कारोबारी गंभीर रूप से घायल हो गया था। हमले में उसके सिर में चोट लगी थी।

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रिपोर्टों के मुताबिक शहर के विभिन्न हिस्सों से लगभग 500 लोगों ने प्रदर्शन में भाग लिया और शिमला में अल्पसंख्यक समुदाय के प्रवासियों की बढ़ती संख्या पर चिंता व्यक्त की तथा इन ‘‘बाहरी लोगों’’ का पुलिस सत्यापन और पंजीकरण कराने की भी मांग की। प्रदर्शनकारियों को शांत करने के लिए जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे। अधिकारियों ने स्वीकार किया कि वक्फ बोर्ड की जमीन पर बने ढांचे का एक हिस्सा अवैध है और इस विषय की सुनवाई शनिवार को नगर निगम अदालत में होगी। अधिकारियों ने कहा कि मामला संवेदनशील है और यह समुदायों की धार्मिक भावनाओं से जुड़ा है।
शिमला के पुलिस अधीक्षक संजीव कुमार गांधी ने कहा कि कारोबारी पर हमले के मामले में हत्या के प्रयास की धारा के तहत कार्रवाई की जाएगी और उन्होंने प्रदर्शनकारियों से शांति बनाए रखने की अपील की। उन्होंने कहा कि मामले की जांच पुलिस उपाधीक्षक रैंक के अधिकारी को सौंपी गई है। उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों से आने वाले प्रवासियों का पंजीकरण किया जाएगा। वहीं नगर निकाय के एक अधिकारी ने कहा, “उक्त ढांचे की सबसे ऊपरी मंजिल अनधिकृत है और नगर निगम अदालत में कार्यवाही जारी है। निर्माण कार्य रोक दिया गया है।” उन्होंने कहा कि एक महीने पहले अवैध रूप से एक शौचालय का निर्माण किया गया था, लेकिन 24 घंटे का नोटिस देने के बाद उसे ध्वस्त कर दिया गया था।
हम आपको बता दें कि विवाद शुक्रवार रात शुरू हुआ, जब मलाणा क्षेत्र में उक्त कारोबारी और कुछ अन्य व्यापारियों पर अल्पसंख्यक समुदाय के आधा दर्जन लोगों ने सरिये और लाठियों से हमला कर दिया, जिसमें चार व्यापारी घायल हो गए। घटना के वक्त ये व्यापारी घर लौट रहे थे। पुलिस ने मामले में प्राथमिकी दर्ज कर ली है। वहीं इस घटना को लेकर स्थानीय लोगों और व्यापारियों में रोष देखा जा रहा है।

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