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ISRO ने SSLV की पहली विकास उड़ान में हुई गड़बड़ी का विस्तृत ब्योरा दिया

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बुधवार को विस्तार से बताया कि पिछले साल लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी-डी1) की पहली विकासात्मक उड़ान में क्या गड़बड़ी हुई और मिशन क्यों पूरा नहीं हो सका।
इसरो ने कहा, ‘‘एसएसएलवी (एसएसएलवी-डी2/ईओएस-07 मिशन) की दूसरी विकासात्मक उड़ान 2023 की पहली तिमाही में निर्धारित है और ईओएस-07 उपग्रह तथा दो सह-यात्री उपग्रहों सहित लगभग 334 किलोग्राम भार भेजा जाएगा।’’
एसएसएलवी को इस हिसाब से डिजाइन किया गया है कि यह किफायती हो और उद्योग उत्पादन के लिए अनुकूल हो। यह छोटे उपग्रहों के प्रक्षेपण के लिए है।

एसएसएलवी-डी 1 ने सात अगस्त, 2022 को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित किया गया था।
मिशन का उद्देश्य इसरो के ईओएस-02 उपग्रह को 37.21 डिग्री के झुकाव के साथ 356.2 किमी की चक्रीय कक्षा में स्थापित करना था। छात्र उपग्रह आज़ादीसैट भी मिशन पर था।
अंतरिक्ष एजेंसी ने अद्यतन जानकारी में कहा कि हालांकि वेग में कमी के कारण अंतरिक्ष यान अत्यधिक अंडाकार अस्थिर कक्षा में चला गया, जिससे सभी ठोस प्रणोदन चरणों के सामान्य प्रदर्शन के बावजूद यह बेकार हो गया।

उड़ान डेटा के साथ प्रारंभिक जांच से संकेत मिला कि सभी ठोस प्रणोदन चरणों के सामान्य प्रदर्शन के साथ एसएसएलवी-डी1 की रवानगी सामान्य थी। हालांकि, मिशन साल्वेज मोड (यान प्रणाली में विसंगति के मामले में अंतरिक्ष यान के लिए न्यूनतम स्थिर कक्षीय परिस्थितियों का प्रयास करने के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया) को शुरू करने वाले दूसरे अलगाव चरण (एसएस 2) के दौरान एक विसंगति के कारण मिशन पूरा नहीं हो सका।

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