यादवपुर विश्वविद्यालय में कथित तौर पर रैगिंग और यौन उत्पीड़न के बाद एक नवागंतुक छात्र की मौत मामले को लेकर जारी विवाद के बीच, छात्रावास के अधीक्षक ने भी दावा किया है कि करीब दो साल पहले औचक निरीक्षण के दौरान छात्रावास में रहने वालों ने उनका भी ‘पूरी रात उत्पीड़न’ किया था। पश्चिम बंगाल मनावाधिकार आयोग (डब्ल्यूबीएचआरसी) के सदस्य ने यह जानकारी दी।
डब्ल्यूबीएचआरसी की टीम को छात्रावास अधीक्षक ने बताया कि उस रात की यातना की यादें आज भी उसके दिमाग में ताजा हैं और इसलिए वह नौ अगस्त की उस दुर्भाग्यपूर्ण रात को छात्रावास में कुछ ‘समस्या’ होने की सूचना मिलने के बाद भी वहां नहीं गए थे।
डब्ल्यूबीएचआरसी की टीम छात्रावास की दूसरी मंजिल की बालकनी से एक पूर्व 17 वर्षीय छात्र की गिरने से हुई मौत पर स्वत: संज्ञान लेते हुए 10 अगस्त को जांच करने के लिए गई थी।
डब्ल्यूबीएचआरसी के अध्यक्ष ज्योतिरमय भट्टाचार्य ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘टीम यह पता लगाने के लिए पहुंची थी कि क्या मृतक और अन्य छात्रों के मानवाधिकार का उल्लंघन तो नहीं किया गया और क्या छात्रावास में रहने वाले अंतरवासीसुरक्षित हैं या नहीं। जांच के आधार पर उचित सिफारिशों के साथ आयोग सरकार को रिपोर्ट देगा।’’
आयोग की टीम को शुरुआत में सोमवार को रिपोर्ट जमा करना था लेकिन मामले की जांच अब तक जारी है।
भट्टाचार्य ने बताया कि विश्वविद्यालय प्रशासन और कोलकाता पुलिस आयुक्त 24 अगस्त को अपनी रिपोर्ट डब्ल्यूबीएचआरसी को सौंपेंगे।
डब्ल्यूबीएचआरसी टीम ने विश्वविद्यालय के विभिन्न अधिकारियों और मृतक छात्र के साथ कमरे में रहने वाले तीन छात्रों से पूछताछ के दौरान पाया कि कनिष्ठ छात्र उत्पीड़न का शिकार होने वाले अकेले नहीं थे।
अपर पुलिस अधीक्षक और डब्ल्यूबीएचआरसी पुलिस अधीक्षक प्रभारी शांति दास ने ‘पीटीआई-भाषा’ ने कहा, ‘‘टीम ने अपनी जांच और विभिन्न लोगों के बयान दर्ज करने के दौरान कई खामियां पाई।’’
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के कई दिशानिर्देशों का यादवपुर विश्वविद्यालय में अनुपालन नहीं किया जा रहा था।
आयोग की जांच टीम में शामिल सदस्य के मुताबिक छात्रावास के अधीक्षक ने दावा किया कि करीब ढाई साल पहले उसका भी छात्रावास के अंतरवासियों ने उत्पीड़न किया था और यातना दी थी।
छात्रावास के अधीक्षक ने टीम के सदस्यों को बताया कि वह एक रात को औचक निरीक्षण के लिए छात्रावास गए थे लेकिन छात्रों ने खुले में उन्हें पूरी रात यातना दी।
टीम के सदस्य ने बताया, ‘‘ छात्रावास अधीक्षक ने हमें बताया कि उन्हें लिखित में देने को कहा गया कि उन्हें छात्रों का मोबाइल फोन चोरी करते हुए पकड़ा गया है। उसके बाद से वह कभी छात्रावास परिसर में दाखिल नहीं हुए। यह कारण है कि वह नौ अगस्त की दुर्भाग्यपूर्ण रात को छात्रावास में नहीं गए।’’
डब्ल्यूबीएचआरसी ने पाया कि छात्रावास को विश्वविद्यालय के वरिष्ठ छात्रों और पूर्व छात्रों द्वारा संचालित किया जा रहे हैं।
अपनी पढ़ाई पूरी करने और नौकरी पाने के बाद भी वे शायद ही कभी अपना कमरा खाली करते हैं।
सदस्य ने कहा कि छात्रावास के मेस चलाने से लेकर नए छात्रों को कमरे आवंटित करने तक का काम वे ही करते थे। उन्होंने कहा कि छात्रावास के प्रवेश द्वारा पर कोई रजिस्टर नहीं रखा जाता है।
विश्वविद्यालय में वरिष्ठ विद्यार्थियों द्वारा कथित रूप से रैगिंग और यौन उत्पीड़ के बाद प्रथम वर्ष के 17 वर्षीय छात्र की छात्रावास की बालकनी से गिरने से मौत हो गई थी।
छात्र की मौत के सिलसिले में अबतक कुल 13 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है जिनमें विश्वविद्यालय के मौजूदा और पूर्व विद्यार्थी शामिल हैं।