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मॉस्को ने कभी भी हमारे हितों को नुकसान नहीं पहुंचाया, भारत-रूस के स्थिर और मैत्रीपूर्ण संबंधों पर जयशंकर ने खुल कर की बात

रूस के साथ प्रगाढ़ होते संबंधों के बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि भारत यूरोप से यह उम्मीद नहीं करता है कि वह चीन पर नई दिल्ली केंद्रित दृष्टिकोण रखेगा, ठीक उसी तरह जैसे वह उम्मीद करता है कि यूरोप रूस के प्रति अपने दृष्टिकोण में भारत की स्वतंत्रता को मान्यता दे, न कि अपेक्षा के। भारत को इस मामले पर यूरोप के दृष्टिकोण के साथ जुड़ना होगा। जर्मनी में म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन की अपनी यात्रा के दौरान एक प्रमुख जर्मन आर्थिक दैनिक हैंडेल्सब्लैट के साथ एक साक्षात्कार में जयशंकर के हवाले से कहा कि मेरा कहना है जैसे मैं यह उम्मीद नहीं करता कि यूरोप चीन के बारे में मेरे जैसा ही दृष्टिकोण रखेगा।

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यूरोप को यह समझना चाहिए कि मैं रूस के बारे में यूरोपीय दृष्टिकोण के समान नहीं हो सकता। आइए स्वीकार करें कि रिश्तों में स्वाभाविक मतभेद हैं। जयशंकर ने बयान दिया कि हम स्मार्ट हैं और हमारे पास कहीं विकल्प है। आपको तो हमारी तारीफ करनी चाहिए। जयशंकर के इसमें स्मार्ट बयान की चर्चा अब सोशल मीडिया पर भी वायरल है। कूटनीति में ऐसे बयानों का मतलब यह है कि भारत और रूस के बीच दशको पुरानी दोस्ती है। यह आगे भी इसी तरह से चलते रहेगी।

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