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जल शक्ति मंत्रालय ने भारत की पहली जल निकाय जल गणना की घोषणा

जल संरक्षण योजनाओं को लागू करने में महाराष्ट्र अव्वल स्थान पर है। जल शक्ति मंत्रालय ने हाल ही में पहली बार भारत के जल निकायों की गणना करते हुए एक रिपोर्ट प्रकाशित की है। रिपोर्ट में उन राज्यों को शामिल किया गया है जो बड़े पैमाने पर और सफलतापूर्वक जल संरक्षण योजनाओं को लागू करने में सफल रहे हैं। महाराष्ट्र देश भर के राज्यों में जल योजनाओं के क्रियान्वय में नंबर एक राज्य बन गया है। इस पर प्रकाश डालता एक लेख…
 
महाराष्ट्र देश के पश्चिमी और मध्य भाग में व्याप्त है। इसकी अरब सागर के साथ लगभग 720 किलोमीटर की तटरेखा है। एक ओर, सह्याद्री पर्वतमाला पश्चिम में राज्य को भौतिक सहायता प्रदान करती है, तो उत्तर में सतपुड़ा पर्वतमाला और पूर्व में भरनरागढ़-चिरोली-गौखुरी पर्वतमाला की प्राकृतिक सीमाओं के रूप में काम करती हैं। 
 
जनसंख्या और भौगोलिक क्षेत्रफल दोनों ही दृष्टि से महाराष्ट्र भारत का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है। 2011 की जनगणना के अनुसार महाराष्ट्र की कुल जनसंख्या 11,23,74,333 है जबकि राज्य का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 3,07,713 वर्ग किमी है। अब जानते हैं, जल योजनाओं के सफल  क्रियान्वय के बारे में…..
 
जल संरक्षण योजनाओं में महाराष्ट्र अग्रणी है। हाल ही में केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय द्वारा 2018-19 में पहली जल संरक्षण जलगणना जारी की गई, जिसमें इस बात का उल्लेख है। इस रिपोर्ट के लिए देश के सभी स्थानों की गणना और सर्वेक्षण किया गया है जहाँ पानी जमा किया जा सकता है। पश्चिम बंगाल में सबसे अधिक झीलें और जलाशय हैं, जबकि आंध्र प्रदेश में सबसे अधिक पानी के टैंक हैं और तमिलनाडु में सबसे अधिक झीलें हैं।
 
रिपोर्ट में दी गई जानकारी नुसार जल संरक्षण के प्रयासों में महाराष्ट्र देश में अग्रणी है। जल संरक्षण योजनाओं के तहत, पूरे देश की तुलना में महाराष्ट्र में जल निकायों की संख्या सबसे ज्यादा यानि की 97,000 से भी अधिक है। इनमें से 96,343 (99.3%) ग्रामीण क्षेत्रों में हैं जबकि शेष 719 (0.7%) शहरी क्षेत्रों में हैं।
 
जल शक्ति मंत्रालय ने देश में सभी जल निकायों के आकार, स्थिति, अतिक्रमण की स्थिति, उपयोग, भंडारण क्षमता, भंडारण की भरणे की स्थिति आदि को ध्यान में रखते हुए देश के सामने एक व्यापक डेटाबेस रखने का बीड़ा उठाया है। इस रिपोर्ट में प्राकृतिक और मानव निर्मित जल स्रोतों सहित भारत के जल संसाधन।
 
इस रिपोर्ट के अनुसार, देश में 24,24,540 जल निकायों की गणना की गई है, जिनमें से 97.1% (23,55,055) ग्रामीण क्षेत्रों में और केवल 2.9% (69,485) शहरी क्षेत्रों में हैं। 59.5% (14,42,993) जल स्रोत तालाब हैं, जबकि टैंक (15.7%, यानी 3,81,805), जलाशय (12.1%, यानी 2,92,280), जल संरक्षण योजनाएं/सीपेज तालाब/चेक डैम, 93% यानी 2 ,26,217), झीलें (0.9%, यानी 22,361) और अन्य (2.5%, यानी 58,884)।
 
इस रिपोर्ट पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि “यह महाराष्ट्र के लिए गर्व का क्षण है! महाराष्ट्र जल संरक्षण योजनाओं को बड़े पैमाने पर और सफलतापूर्वक लागू करने में पहले स्थान पर है। सरकार प्रतिबद्ध है कि महाराष्ट्र को अब पानी की किल्लत का सामना नहीं करना पड़ेगा। उसी के अनुसार माननीय मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार जल संरक्षण के साथ साथ राज्य की विभिन्न योजनाओं का सफलतापूर्वक क्रियान्वयन कर रही है। उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने जल शक्ति मंत्रालय की निरीक्षण रिपोर्ट का स्वागत किया और कहा की  राज्य के लोगों की पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए यहां लागू की गई विभिन्न योजनाएं सफल हो रही हैं।
 
रिपोर्ट में लिए गए महाराष्ट्र के जल स्रोतों के अभिलेखों के संबंध में:
 
महाराष्ट्र में, 97,062 कुल जल निकायों की गणना की गई है, जिनमें से 96,343 (99.3%) ग्रामीण क्षेत्रों में हैं और केवल 719 (0.7%) शहरी क्षेत्रों में हैं। जल संसाधनों के विभिन्न उपयोगों के मामले में औरंगाबाद, जालना और नासिक शीर्ष पांच जिलों में शामिल हैं। महाराष्ट्र में 574 प्राकृतिक और 96,488 मानव निर्मित जल निकाय हैं। मानव निर्मित जल निकायों की मूल निर्माण लागत 5 लाख रुपये से लेकर 10 लाख रुपये तक है। 574 वाटरशेड में से 98.4% (565) ग्रामीण क्षेत्रों में हैं जबकि शेष 1.6% (9) शहरी क्षेत्रों में हैं। 96,488 मानव निर्मित जल निकायों में से 99.3% (95,778) जल निकाय ग्रामीण क्षेत्रों में हैं और शेष 0.7% (710) शहरी क्षेत्रों में हैं।
 
महाराष्ट्र में कुल जल निकायों में से, 98.9% (96,033) जल निकाय “उपयोग में” हैं जबकि शेष 1.1% (1,029) सूखने, गाद, मरम्मत से परे उजाड़ तथा  अन्य कारणों से “उपयोग में नहीं” हैं। ‘उपयोग में’ जल निकायों में, जल संसाधनों का बड़ा हिस्सा भूजल पुनर्भरण के लिए उपयोग किया जाता है, इसके बाद घरेलू/पेयजल और सिंचाई प्रयोजनों के लिए उपयोग में लाया जाता है। उपयोग के प्रकार द्वारा जल का प्रतिशत वितरण नीचे चित्र में दिखाया गया है।
 
औरंगाबाद, जालना और नासिक, महाराष्ट्र के तीन जिले भूजल पुनर्भरण के साथ-साथ जल संसाधनों के विभिन्न उपयोगों के मामले में देश के शीर्ष पांच जिलों में शामिल हैं। पिछले 5 वर्षों में भंडारण क्षमता भरने की कसौटी के आधार पर, 5,403 जलाशयों में से 63.2% (3,414) प्रतिवर्ष भरा हुआ पाया जाता है, 35.8% (1,935) आमतौर पर भरे जाते हैं, 0.7% (38) शायद ही कभी भरे जाते हैं, और 0.3% (16) कभी भरे नहीं जाते। ‘भरण स्थिति’ एवं ‘भरण भण्डारण क्षमता’ के अनुसार जल संसाधनों का आवंटन प्रतिशत नीचे चित्र में दर्शाया गया है।
 
रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र में सभी जल निकायों का 60.7% (58,887) जिला सिंचाई योजना/राज्य सिंचाई योजना के तहत कवर किया गया है। इनमें से 90.8% (53,449) जल संरक्षण योजनाएं/सीपेज तालाब/चेक डैम हैं और शेष 9.2% (5,438) टैंक, तालाब, जलाशय आदि हैं। ‘उपयोग में’ जल निकायों में से, 82.5% (79,238) से एक (01) शहर/कस्बे को लाभ होने की सूचना है। 17.1% (16,406) जल स्रोत 2-5 शहरों/कस्बों की जरूरतों को पूरा कर रहे हैं और शेष 0.4% (389) पांच (05) शहरों/कस्बों से अधिक लाभान्वित हो रहे हैं। राज्य ने 251 जल निकायों में अतिक्रमण की सूचना दी है, जिनमें से 233 जल संरक्षण योजनाएं/सीपेज तालाब/चेक डैम हैं। भंडारण क्षमता के संदर्भ में, महाराष्ट्र में 94.8% (92,026) जलाशयों की भंडारण क्षमता 0-100 घन मीटर के बीच है जबकि 4% (3,885) की भंडारण क्षमता 100 और 1,000 घन मीटर के बीच है।
जल निकायों की संख्या के मामले में शीर्ष पांच राज्य पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और असम हैं। इन राज्यों में भारत के कुल जल निकायों का लगभग 63 प्रतिशत हिस्सा है। पश्चिम बंगाल में तालाब और जलाशयों की संख्या सबसे अधिक है, जबकि आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु क्रमशः तालाबों और झीलों की संख्या में अग्रणी हैं।

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