जम्मू-कश्मीर सरकार ने 2 डॉक्टरों को बर्खास्त कर दिया है। इनमें डॉ. बिलाल अहमद दलाल और डॉ. निगहत शाहीन चिल्लो का नाम शामिल है। दोनों को पाकिस्तान के साथ सक्रिय रूप से काम करने और शोपियां की आसिया और नीलोफर की पोस्टमार्टम रिपोर्ट को गलत साबित करने के आरोप में बर्खास्त किया गया है। सूत्रों का कहना है कि दोनों का उद्देश्य सुरक्षा बलों पर बलात्कार और हत्या का झूठा आरोप लगाकर भारत के खिलाफ असंतोष पैदा करना था।
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सरकार ने जांच के बाद दोनों डॉक्टरों को बर्खास्त करने के लिए भारत के संविधान की धारा 311 (2) (सी) का इस्तेमाल किया है, क्योंकि जांच में यह स्पष्ट हो गया है कि डॉ. बिलाल और डॉ. निगहत ने पाकिस्तान आईएसआई और आतंकवादी संगठनों की ओर से काम किया था। सूत्रों के मुताबिक, जांच से पता चलता है कि तत्कालीन सरकार के शीर्ष अधिकारियों को तथ्यों के बारे में पता था, जिसे आसानी से दबा दिया गया।
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दरअसल, शोपियां में साल 2009 में नीलोफर और आसिया नाम की दो महिलाओं की रहस्यमयी परिस्थितियों में मौत होने की खबर सामने आई थी। शोपियां प्रकरण एक क्लासिक पाठ्यपुस्तक केस स्टडी के रूप में उभरा है कि कैसे पाकिस्तान और जम्मू-कश्मीर में उसके प्रतिनिधियों ने पूरी तरह से झूठी कहानी गढ़ने के लिए कई सामाजिक और सरकारी संस्थानों के भीतर अपनी गहरी संपत्ति जुटाई, पूरी तरह से फर्जी सहित झूठे सबूत बनाकर झूठ को विश्वसनीयता प्रदान की। पोस्टमार्टम, पूरी तरह से निर्दोष पुलिस अधिकारियों को गलत तरीके से फंसाने के लिए जैविक नमूनों को बदलने की हद तक जाना और इस तरह न्याय प्रणाली को उस अनुपात में विकृत और बाधित करना जो आपराधिक न्याय प्रणाली के इतिहास में अभूतपूर्व है।