चुनाव आयोग की टीम 8 अगस्त से 2 दिवसीय दौरे पर जम्मू-कश्मीर पहुंच रही है। उम्मीद है कि घाटी में चुनाव लगभग छह साल के अंतराल के बाद सितंबर में हो सकते हैं। निर्वाचन आयोग विधानसभा चुनाव की तैयारियों की समीक्षा करेगा। इसमें मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार और निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार और एस एस संधू भी होंगे। यह दौरा केंद्र शासित प्रदेश में चुनाव कराने के लिए उच्चतम न्यायालय की 30 सितंबर की समयसीमा से कुछ हफ्ते पहले होगा। आयोग दस अगस्त को कानून लागू करने वाली एजेंसियों के साथ समीक्षा बैठक के लिए जम्मू का दौरा करेगा। ऐसी उम्मीद है कि घाटी में चुनाव लगभग छह साल के अंतराल के बाद सितंबर में हो सकते हैं।
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भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) जहां पूरी ताकत के साथ जम्मू-कश्मीर में चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है, वहीं पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) अभी भी सशंकित है। जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले राजनीतिक गतिविधियों ने अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं। बीजेपी ने जम्मू में एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई है और पार्टी को चुनाव की तैयारी शुरू करने का आदेश जारी किया है। नेताओं को पहुंच बढ़ाने और 15 अगस्त तक पूरी प्रक्रिया पूरी करने के लिए जिला स्तर पर टीमें बनाने के लिए कहा गया है। यह भाजपा के लक्ष्यों का रोडमैप निर्धारित करेगा, जो पार्टी के ‘सबका साथ, सबका विकास’ के मिशन को पूरा करेगा।
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पिछले दिसंबर में उच्चतम न्यायालय ने निर्वाचन आयोग को 30 सितंबर तक जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने का निर्देश दिया था। जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव जल्द कराए जाने के नये संकेत देते हुए निर्वाचन आयोग ने बुधवार को केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन से कहा कि वह अपने गृह जिलों में तैनात अधिकारियों का तबादला कर दे। आयोग चुनाव से पहले यह कदम उठाता रहा है। आयोग लगातार यह नीति अपनाता रहा है कि चुनाव वाले राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में चुनाव कराने से सीधे जुड़े अधिकारियों को उनके गृह जिलों या उन जगहों पर तैनात नहीं किया जाए, जहां वे लंबे समय से कार्यरत रहे हैं।