देश में आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति जबरदस्त तरीके से हो रही है। राजनीतिक नफा-नुकसान के लिए राजनेता अक्सर अलग-अलग तरह के बयान देते हैं। इसी कड़ी में हाल के दिनों में हमने देखा कि आम आदमी पार्टी ने लगातार भाजपा पर अपने विधायकों को तोड़ने का आरोप लगाया। आम आदमी पार्टी की ओर से यह भी दावा किया गया कि भाजपा नेताओं ने उनकी पार्टी के विधायकों से संपर्क किया और उन्हें पार्टी में शामिल होने की पेशकश की थी। इसके बाद से भाजपा की ओर से दिल्ली सरकार की मंत्री आतिशी को मानहानि का नोटिस भेज दिया गया। ऐसे में सवाल बड़ा यही है कि आखिर झूठ कौन बोल रहा है और सच कौन बोल रहा है। लेकिन ऐसे में यह भी जानना बेहद जरूरी है कि संविधान की नजर में झूठ बोलना कितना बड़ा अपराध है। इसी को लेकर देश के प्रसिद्ध अधिवक्ता और भारत के पीआईएल मैन के रूप में विख्यात अश्विनी उपाध्याय ने अपनी बात रखी है, सुनते हैं।
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अश्वनी उपाध्याय ने कहा कि केजरीवाल सरकार की मंत्री आतिशी और सौरव भारद्वाज ने उनके ऑर्डर को लेकर भी झूठ बोला। उन्होंने इसे सफेद झूठ बताया। केजरीवाल की पत्नी भी अब झूठ बोल रही हैं। उन्होंने कहा कि केजरीवाल की पत्नी अगर कुछ कहती है तो उनकी बात समझ में आती है क्योंकि वह लगातार अरविंद केजरीवाल से मिल भी रही हैं। लेकिन उनके मंत्री सफेद झूठ बोलते रहे। इसकी बड़ी वजह यह है कि हमारे देश का कानून घटिया है। भारत में झूठ बोलना पाप है लेकिन गंभीर अपराध नहीं है। झूठ बोलना बोलने की आजादी में आता है। कभी भी संविधान निर्माता ने यह नहीं सोचा था कि जो वह आजादी एक्सप्रेशन के लिए दे रहे हैं, इसका इस्तेमाल झूठ बोलने के लिए किया जाएगा।
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अश्वनी उपाध्याय ने कहा कि सच बोलने की आजादी है, झूठ बोलने की नहीं। पूरी दुनिया में नार्को पॉलीग्राफ को लेकर कानून बन गया, हमारे देश में नहीं बना। जन लोकपाल को लेकर आंदोलन हुआ। यह भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए था। कानून भी बन गया, लोकपाल भी पारित हो गया, लोकायुक्त भी नियुक्त हुआ, लेकिन भ्रष्टाचार कम नहीं हुआ। इसका बड़ा कारण यह है कि हमने पुलिस रिफॉर्म नहीं किया, हमने ज्यूडिशल रिफॉर्म नहीं किया, हमने झूठ को गैरकानूनी नहीं किया। इसके खिलाफ गंभीर कानून नहीं बनाए।