देहरादून/जोशीमठ। राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान (एनआइएच) की बुधवार को आई रिपोर्ट में जोशीमठ की जेपी कॉलोनी और एनटीपीसी के परियोजना स्थल से लिए गए पानी के नमूने अलग पाए गए जबकि कॉलोनी में अज्ञात भूमिगत स्रोत के फटने से बह रहे पानी की मात्रा घटकर अब 100 लीटर प्रति मिनट रह गयी है।
उधर, जोशीमठ में असुरक्षित घोषित लोकनिर्माण विभाग के डाक बंगले के साथ ही दो निजी भवनों को तोड़े जाने के आदेश भी जारी हो गए हैं।
एनआइएच की प्रारंभिक रिपोर्ट का हवाला देते हुए उत्तराखंड के आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा ने कहा कि दोनों स्थानों के पानी के नमूनों के प्रोफाइल अलग हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, यह केवल प्रारंभिक रिपोर्ट है और इससे किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सकता। एनआइएच अभी विस्तृत जांच कर रहा है जिसके बाद ही इस संबंध में किसी अंतिम निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकेगा।’’
जोशीमठ भूधंसाव तथा दो जनवरी से जेपी कॉलोनी में भूमिगत स्रोत के फटने से लगातार बह रहे पानी के लिए एनटीपीसी की 520 मेगावाट तपोवन विष्णुगाड जलविद्युत परियोजना को जिम्मेदार ठहराने वाले आरोपों के बीच एनआइएच की प्रारंभिक रिपोर्ट में दोनों नमूनों का अलग पाया जाना काफी महत्वपूर्ण है।
सिन्हा ने बताया कि जेपी कॉलोनी में पानी का डिस्चार्ज बुधवार को घटकर 100 लीटर प्रति मिनट रह गया जिससे प्रशासन ने राहत की सांस ली है।
छह जनवरी को वहां निकलने वाले पानी की मात्रा 540 लीटर प्रति मिनट दर्ज की गयी थी।
अधिकारी ने बताया कि मुख्य सचिव सुखबीर सिंह संधु ने जोशीमठ में कार्यरत विभिन्न तकनीकी संस्थानों के निदेशकों तथा वैज्ञानिकों के साथ बैठक कर उनसे उनसे समयबद्धता के साथ अपनी अध्ययन रिपोर्ट जल्द से जल्द उपलब्ध कराने का आग्रह किया।
उन्होंने बताया कि संधु ने सभी संस्थानों से अपनी रिपोटों में स्पष्ट रूप से समस्या के साथ ही समाधान भी बताने तथा उन्हें एक दूसरे से साझा करने को भी कहा है ताकि अंतत: उनमें कोई विरोधाभास न रहे।
जोशीमठ में भूधंसाव सामने आने के बाद से केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान, राष्ट्रीय भू-भौतिक अनुसंधान संस्थान, वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, केन्द्रीय भूमि जल बोर्ड, भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान तथा आईआईटी रूड़की जैसे संस्थान नगर का विभिन्न पहलुओं से अध्ययन कर रहे हैं।
सभी संस्थानों ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट दो से तीन सप्ताह में देने की बात कही है।
उन्होंने बताया कि नगर में सर्वेक्षण का कार्य चल रहा है और अभी तक 849 भवनों में दरारें पायी गयी हैं जिनमें से 181 भवन असुरक्षित क्षेत्र में स्थित हैं। अब तक 258 परिवार सुरक्षा के दृष्टिगत अस्थायी रूप से विस्थापित किये गये हैं जिनके सदस्यों की संख्या 865 है।
इस बीच, जोशीमठ में बुधवार को मुख्य बाजार के पास बने लोकनिर्माण विभाग के डाक बंगले के साथ दो निजी भवनों को तोड़ें जाने के आदेश चमोली के जिलाधिकारी हिमांशु खुराना ने जारी कर दिए हैं।
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अपर जिला सूचना अधिकारी की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, तोड़े जाने वाले दो मकानों में पांच परिवार रहते थे और मकानों के असुरक्षित घोषित होने के बाद उन्होंने लिखित में उन्हें तोड़ने की सहमति दे दी है। इसके अलावा, 1976 में बने लोक निर्माण विभाग के डाक बंगले को भी वैज्ञानिक तरीके से तोडने के आदेश दिए गए हैं।
इससे पूर्व, होटल माउंट व्यू, होटल मलारी इन को वैज्ञानिक तरीके से केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान की निगरानी में तोड़े जाने के आदेश दिए गए थे जिन्हें तोड़ने की प्रक्रिया जारी है।
उधर, नई दिल्ली में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात कर उन्हें जोशीमठ में भू-धंसाव से उत्पन्न स्थिति की विस्तृत जानकारी दी तथा आपदा राहत हेतु केंद्रीय सहायता का अनुरोध किया।।