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Yes Milord: SC का नाम लेकर जज साहब ने किया कुछ ऐसा, अब CJI करेंगे न्‍याय

अदालत की कार्यवाही से जुड़ा एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। बेंगलुरु की जिला अदालत के एक सिविल जज ने भी गजब का काम किया। अपने एक आदेश में उन्‍होंने सुप्रीम कोर्ट के दो जजमेंट का हवाला देते हुए अपना फैसला सुना दिया। खासबात यह है कि जिन जजमेंट का हवाला इस आदेश में दिया गया वो वास्‍तव में सुप्रीम कोर्ट ने कभी दिए ही नहीं थे। मामला पहले हाईकोर्ट पहुंचा। हाईकोर्ट ने हैरानी जताई और मामले को सीजेआई संजीव खन्ना के पास भेजा है। अब सुप्रीम कोर्ट यह फैसला लेगा कि जज साहब का आगे भविष्‍य क्‍या होगा। 

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क्या है पूरा मामला 
यह मामला एक वाणिज्यिक विवाद में दीवानी न्यायालय के अधिकार क्षेत्र को चुनौती देने वाली एक पुनर्विचार याचिका पर आधारित है। याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील प्रभुलिंग नवदगी ने तर्क दिया कि निचली अदालत ने केवल उन निर्णयों का हवाला देकर उनके आवेदन को खारिज कर दिया था जो अस्तित्व में ही नहीं हैं। नवदगी ने जनवरी में उच्च न्यायालय को सूचित किया कि उद्धृत निर्णय ‘धोखे से गढ़े गए’ प्रतीत होते हैं, क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय की वेबसाइट या किसी अन्य कानूनी डेटाबेस पर उनका कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं पाया गया। इन आरोपों को गंभीरता से लेते हुए उच्च न्यायालय ने आदेश दिया, न्यायाधीश के खिलाफ आगे की कार्रवाई के लिए इस आदेश की एक प्रति मुख्य न्यायाधीश के समक्ष रखी जाएगी। प्रतिवादियों का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ वकील श्याम सुंदर और अधिवक्ता बी के एस संजय ने किया। 
हाई कोर्ट ने क्या कहा 
कर्नाटक हाई कोर्ट ने नागरिक प्रक्रिया संहिता के तहत एक आवेदन पर निर्णय लेते समय सुप्रीम कोर्ट के ऐसे फैसलों का हवाला देने जिनका कोई वजूद ही नहीं है, के लिए शहर की एक दीवानी अदालत के न्यायाधीश के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया है। हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति आर देवदास ने 24 मार्च को जारी एक आदेश में न्यायाधीश के आचरण पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि मामले में आगे की जांच की आवश्यकता है। आदेश में कहा गया है कि इससे भी अधिक परेशान करने वाली बात यह है कि शहर की दीवानी अदालत के विद्वान न्यायाधीश ने दो ऐसे निर्णयों का हवाला दिया जो सुप्रीम कोर्ट या किसी अन्य न्यायालय द्वारा कभी सुनाए ही नहीं गए। वादी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता ने स्पष्ट रूप से कहा कि ऐसे निर्णयों का हवाला वादी के वकील द्वारा नहीं दिया गया था। उन्होंने कहा कि न्यायाधीश के इस कृत्य की आगे की जांच और कानून के अनुसार उचित कार्रवाई की आवश्यकता है। 

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सीजेआई करेंगे फैसला 
हाई कोर्ट ने सिविल संशोधन याचिका को मंजूर करते हुए मामले को 9वें अतिरिक्त सिटी सिविल और सत्र न्यायाधीश, बेंगलुरु को वापस भेज दिया, ताकि वादी मुकदमा खारिज करने का आवेदन दायर कर सकें। इस घटना ने न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब सभी की नजरें मुख्य न्यायाधीश के फैसले पर टिकी हैं।

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