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हार्वर्ड और स्टैनफोर्ड से पढ़े Jyotiraditya Scindia, नई NDA सरकार में बने टेलीकॉम मंत्री

भारतीय जनता पार्टी की पिछली सरकार में नागरिक उड्डयन मंत्री और पूर्व कांग्रेसी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया नई एनडीए की सरकार में टेलीकॉम मंत्री बनाए गए हैं। 2019 में मध्य प्रदेश की गुना लोकसभा सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में उतरे सिंधिया चुनाव हार गए थे। जिसके बाद 2020 में वे पाला बदलकर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए थे। इसके बाद भाजपा ने उन्हें राज्यसभा के रास्ते सरकार में नागरिक उड्डयन मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी थी। 2024 के लोकसभा चुनाव में सिंधिया एक बार फिर गुना लोकसभा सीट पर चुनाव लड़े और इस बार भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार के रूप में बड़े अंतर से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे हैं। 
ज्योतिरादित्य सिंधिया का जन्म 1 जनवरी 1971 को मुंबई में हुआ था। उनके पिता माधवराव सिंधिया भारत के पूर्व राजनीतिज्ञ और कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में से एक थे। 30 सितंबर 2001 को माधव राव सिंधिया की एक हवाई दुर्घटना में मौत हो गई थी। सिंधिया की प्रारंभिक शिक्षा मुंबई के कैंपियन स्कूल से हुई है। इसके बाद उन्होंने आगे की पढ़ाई देहरादून के दून बोर्डिंग स्कूल से की। उच्च शिक्षा के लिए वे अमेरिका चले गए। जहां से उन्होंने 1993 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में ग्रेजुएशन और 2001 में स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से एमबीए की डिग्री प्राप्त की। 
ग्वालियर राजघराने से संबंध रखने वाले सिंधिया का प्रारंभिक जीवन ठाठ वाट के साथ गुजरा है। पिता के कांग्रेस में शामिल होने के कारण उनका बचपन से ही राजनीति से संबंध रहा। सिंधिया का राजनीति में प्रवेश पिता की मौत के कारण हुआ था। 2001 में माधवराव सिंधिया की मौत के कारण गुना की सीट खाली हो गई थी। जहां से उन्होंने 2002 में चुनाव लड़ा और बड़ी जीत दर्ज की। इसके बाद सिंधिया सक्रिय राजनीति में लोकप्रिय होते चले गए सन। 2004 में हुए आम चुनाव में उन्होंने फिर से गुना की सीट चुनी और कांग्रेस के टिकट पर जीत दर्ज की।
उन्होंने राजा महाराजाओं वाली अपनी पारंपरिक सोच से हटकर सादगी को महत्व दिया और इसी प्रकार सिंधिया एक लोकप्रिय नेता के रूप में जाने गए। कांग्रेस के टिकट पर ही 2009 और 2014 में वे लोकसभा के रास्ते संसद पहुंचे। इस दौरान उन्होंने सरकार के कई मंत्रालयों का कार्यभार भी संभाला। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, 2019 में मिली हार के बाद सिंधिया मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष बनना चाहते थे। लेकिन पार्टी ने उन्हें यह पद नहीं दिया। जिसके कारण कई नेताओं के साथ उन्होंने 2020 में कांग्रेस छोड़ दी और भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। उनके पार्टी छोड़ने ही मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिर गई और शिवराज सिंह चौहान एक बार फिर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। इसके बाद से वे लगातार भारतीय जनता पार्टी के एक सक्रिय कार्यकर्ता के रूप में कार्य कर रहे हैं।

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