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नई शिक्षा नीति में प्राचीन ज्ञान की धरोहर, होगा विकास का मार्ग प्रशस्त :मिश्र

राजस्थान के राज्यपाल एवं कुलाधिपति कलराज मिश्र ने कहा है कि नई शिक्षा नीति प्राचीन ज्ञान के आलोक में समाज को एक नई दिशा प्रदान करेगी। इससे विद्यार्थी हमारी संस्कृति के जीवन मूल्यों से जुड़े रहतेआधुनिक विकास की ओर अग्रसर हो सकेंगे।
अजमेर में महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में आयोजित दशम दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए मिश्र ने बुधवार को कहा कि नई शिक्षा नीति के तहत भारतीय विश्वविद्यालयों को वैश्विक रैंकिंग में स्थान दिलाने के लिए काम किया जाए ताकि वह रोजगार मांगने के बजाए देने की सोच विकसित करे।

उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति मे ऎसे अनुसंधान और शिक्षण से जुड़े विश्वविद्यालयों की स्थापना पर जोर दिया गया है जिससे विद्यार्थी नवाचार एवं नए विषयों के अन्वेषण के लिए प्रेरित हो सकें।
उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति ऎसे आकांक्षी क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने वाली है जिसमें बड़ी संख्या में छात्र आर्थिक, सामाजिक या जाति बाधाओं का सामना कर रहे हैं। इस शिक्षा नीति के तहत ऎसे जिलों को ‘विशेष शैक्षिक क्षेत्र’ के रूप में नामित कर उनके विकास की बात कही गयी है।

मिश्र ने कहा कि उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात (जी.ई.आर) केवल 27.1 प्रतिशत है, जो विश्व की तुलना में बहुत कम है। हमें इस अनुपात को बढ़ाने के लिए योजनाबद्ध रूप से लगातार काम करना होगा।
उन्होंने विश्वविद्यालयों से ऎसे पाठ्यक्रम और नवाचार करने को कहा जिससे उच्च शिक्षा में गुणवत्ता में सुधार के साथ ही नामांकन वृद्धि हो।
मिश्र ने बुधवार को पुष्कर सरोवर की पूजा अर्चना की। उन्होंने ब्रह्म घाट पर पुष्कर सरोवर के दर्शन किए एवं पूजा की। उन्होंने प्रदेश की तरक्की एवं खुशहाली की प्रार्थना की।

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