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सीमा विवाद से संबंधित कर्नाटक के मुख्यमंत्री का बयान शाह का अपमान है: एमवीए

मुंबई। शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) ने शनिवार को कहा कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने पूर्व नियोजित तरीके से और विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए यह बयान दिया है कि महाराष्ट्र के सांसदों व केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की बैठक से दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
शाह से मिलने वाले प्रतिनिधिनमंडल में शामिल शिवसेना (यूबीटी) के नेता और मुंबई दक्षिण लोकसभा सीट से सांसद अरविंद सावंत ने कहा कि शाह ने इस मुद्दे का गंभीरता से संज्ञान लिया था और आश्वासन दिया था कि वह दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाएंगे।

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सावंत ने कहा कि हालांकि बोम्मई के बयान से पता चलता है कि वह केंद्र सरकार का सम्मान नहीं करते। ऐसा लगता है कि ये टिप्पणियां अगले साल कर्नाटक में होने वाले विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए की गई हैं और केंद्र सरकार इनसे सहमत है।
सावंत ने दावा किया, “जब मामला उच्चतम न्यायालय में लंबित है, तो कर्नाटक ने आगे बढ़कर बेलगाम का नाम बदलकर बेलगावी क्यों कर दिया। इसने वहां एक विधान भवन का निर्माण किया और हर साल विधानसभा का सत्र आयोजित करता है। यह सब अवैध है।”
शिवसेना (यूटीबी) के साथ महाराष्ट्र विकास आघाड़ी (एमवीए) में शामिल दल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रवक्ता क्लाइड क्रैस्टो ने बोम्मई की आलोचना करते हुए कहा, “क्या कर्नाटक के मुख्यमंत्री का बयान केंद्रीय गृह मंत्री और हमारे देश के प्रति अपमानजनक नहीं है? एक राज्य का भाजपा का मुख्यमंत्री खुलेआम भारत के गृह मंत्री के बारे में पलटवार कर रहा है, जो खुद भाजपा से हैं। क्या हम यहां कुछ खोने जा रहे हैं?”

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बोम्मई ने शुक्रवार को ट्वीट किया था कि उनके राज्य का रुख वैध है और शीर्ष अदालत में इसका मामला मजबूत है।
बोम्मई ने शुक्रवार रात ट्वीट किया था, “महाराष्ट्र के प्रतिनिधिमंडल के केंद्रीय गृह मंत्री से मिलने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। महाराष्ट्र ने पहले भी ऐसा करने की कोशिश की है। मामला उच्चतम न्यायालय में है। उच्चतम न्यायालय में हमारा मामला वैध और मजबूत है। हमारी सरकार सीमा के मुद्दे पर समझौता नहीं करेगी।”
उल्लेखनीय है कि कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच 1957 में भाषायी आधार पर राज्यों के पुनर्गठन के बाद सीमा विवाद शुरू हुआ था। हाल के हफ्तों में सीमा को लेकर दोनों राज्यों के बीच तनाव में वृद्धि देखी गई। महाराष्ट्र और कर्नाटक में एक-दूसरे की बसों को निशाना बनाए जाने तथा बड़ी संख्या में कन्नड़ एवं मराठी समर्थक कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिए जाने की खबरें सामने आई हैं।

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