Breaking News
-
भारत की टी20 विश्व कप 2024 की जीत के लिए पूरे देश में जश्न मनाया…
-
हमास के एक वरिष्ठ सूत्र ने शनिवार को रॉयटर्स को बताया कि गाजा में नौ…
-
चीन के शेडोंग प्रांत के डोंगमिंग काउंटी में एक खतरनाक बवंडर ने कहर बरपाया, जिसमें…
-
तमिलनाडु में विक्रवांडी उपचुनाव में मुख्य विपक्षी दल एआईएडीएमके के मैदान से बाहर रहने के…
-
दिल्ली उच्च न्यायालय ने 31 वर्षीय महिला के भ्रूण में तंत्रिका तंत्र-विकास संबंधी विकार पाने…
-
गुजरात के सूरत में शनिवार को 6 मंजिला इमारत गिरने से कई लोगों के फंसे…
-
उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य विभाग दूरदराज के क्षेत्रों में तैनात सरकारी चिकित्सकों की चिकित्सा शिक्षा जारी…
-
हरियाणा में फरीदाबाद के सीकरी इलाके में एक जर्जर मकान के छज्जा के गिर जाने…
-
उत्तरी केरल के कासरगोड जिले में 57 वर्षीय एक चिकित्सक पर किशोरी के साथ दुर्व्यवहार…
-
10 जुलाई को पश्चिम बंगाल में चार विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनावों में भाजपा…
बेंगलुरु। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को एकल पीठ के एक आदेश को पलटते हुए पांचवीं, आठवीं, नौवीं और ग्यारहवीं कक्षाओं के लिए 2023-24 सत्र की बोर्ड परीक्षाएं संचालित करने की राज्य सरकार को अनुमति प्रदान कर दी। न्यायमूर्ति के. सोमशेखर और न्यायमूर्ति के. राजेश राय की पीठ का यह फैसला राज्य सरकार की उस अपील पर आया है, जिसमें उसने एकल पीठ के छह मार्च के आदेश को चुनौती दी है। एकल पीठ के फैसले ने कर्नाटक राज्य परीक्षा और मूल्यांकन बोर्ड (केएसईएबी) के माध्यम से इन कक्षाओं के लिए बोर्ड परीक्षा आयोजित करने को लेकर अक्टूबर 2023 में किए गए राज्य सरकार के फैसले को रद्द कर दिया था।
न्यायाधीश ने तर्क दिया था कि इन परीक्षाओं को आयोजित करने की योजना में कर्नाटक शिक्षा अधिनियम, 1983 की धारा 22 और 145 द्वारा प्रदान की गई आवश्यक रूपरेखा का अभाव है, जो परीक्षा प्रणाली को लागू करने के लिए नियमों के निर्माण को अनिवार्य बनाता है और ऐसे नियमों को अंतिम रूप देने से पहले हितधारकों का पक्ष जानने की आवश्यकता होती है। खंडपीठ ने अपने फैसले में बोर्ड परीक्षाओं के संबंध में राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचनाओं को ‘बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009’ के तहत दी गई शक्तियों की अपनी समझ के आधार पर सख्त नियमों के बजाय दिशानिर्देशों के रूप में व्याख्या की।
अदालत का फैसला अब सरकार को पांचवीं, आठवीं और नौवीं कक्षा के लिए रुकी हुई परीक्षाओं को जारी रखने एवं पूरा करने तथा ग्यारहवीं कक्षा के लिए आयोजित परीक्षाओं का मूल्यांकन पूरा करने की अनुमति देता है। खंडपीठ ने 18 मार्च को राज्य सरकार और याचिकाकर्ता-स्कूल संघों की दलीलें सुनने के बाद मामले पर विचार-विमर्श किया और शुक्रवार को अपना फैसला सुनाया।