आकाश की ऊंचाइयों को पार कर चंद्रमा के रहस्यों को जानने के लिए भारत का चंद्रयान 3 चंद्रमा की सतह पर सफलता पूर्वक लैंड कर चुका है। जिस स्थान पर चंद्रयान -3 का चंद्रमा लैंडर उतरा, उस प्वाइंट को अब ‘शिव शक्ति’ के नाम से जाना जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसकी घोषणा की है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दक्षिण अफ्रीका और ग्रीस की चार दिवसीय यात्रा के बाद लौटे है। उन्होंने लौटने के बाद बेंगलुरु में इसरो वैज्ञानिकों से मुलाकात की और फिर दिल्ली पहुंचे। दिल्ली पहुंचने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की कि जिस स्थान पर चंद्रयान-3 लैंड किया गया है उस प्वाइंट को शिवशक्ति के नाम से जाना जाएगा।
मोदी ने कहा कि जब शिव की बात होती है तो हिमालय याद आता है और शक्ति की बात होती है तो कन्याकुमारी याद आता है। हिमालय से कन्याकुमारी तक इस भावना को उस प्वाइंट में प्रतिबिंबित करने के लिए इसका नाम शिवशक्ति तय किया है। भारत के महत्वपूर्ण मिशन के जरिए भारत चंद्रमा के रहस्यों को जानने की दिशा में प्रयासरत्त है। भारत चांद पर पहुंचने वाला चौथा देश बन चुका है जबकि चंद्रमा के दक्षिण पोल पर लैंड करने वाला पहला देश है। इस सॉफ्ट लैंडिंग के साथ ही इसरो ने इतिहास रच दिया है। बता दें कि वर्ष 2008 में भारत को चांद पर पहुंचने उपलब्धि मिली है। वर्ष 2009 में चंद्रयान 1 ने चंद्रमा पर पानी की खोज की थी। वहीं चंद्रयान 2 मिशन का आर्बिटर बीते चार वर्षों से लगातार चांद की सतह का अध्ययन करने में जुटा हुआ है। वहीं इसरो ने 14 जुलाई को श्रीहरिकोटा से चंद्रयान 3 की सफल उड़ान भरी थी। असाधारण दबावों और चुनौतियों का सामना करते हुए 23 अगस्त की शाम छह बजकर चार मिनट पर चंद्रयान 3 के विक्रम लैंडर सफलता के साथ चांद की सतह पर लैंड करने में सफल हुआ। जैसे ही ये सॉफ्ट लैंडिंग हुई तो भारत ने दुनिया में इतिहास रच दिया। इसके बाद पूरे देश में जश्न का माहौल बना रहा है। बता दें कि 3,00,000 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय कर चंद्रयान 3 चंद्रमा पर पहुंचा है।
बता दें कि एलएमवी 3 एम 4 रॉकेट ने 14 जुलाई 2023 को दोपहर 2:35 बजे सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र एसएचएआर, श्रीहरिकोटा के दूसरे लॉन्च पैड से उड़ान भरी थी। चंद्रयान -3 को सफलतापूर्वक कक्षा में प्रक्षेपित किया था। चंद्रयान-3 ने चंद्रमा की यात्रा शुरू होकर अपने अंजाम पर पहुंच गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के बाद भारत के वैज्ञानिकों के अथक समर्पण की सराहना की। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कहा कि यह विकसित एवं नये भारत का जयघोष है और इससे देश को एक नई ऊर्जा और चेतना मिली है। इसरो ने जो इतिहास रचा, वह यही रेखांकित कर रहा है कि नए भारत का निर्माण हो रहा है और वह महाशक्ति बनने की राह पर अग्रसर है। अब यह भरोसे के साथ कहा जा सकता है कि विश्व पटल पर अपनी और गहरी छाप छोड़ने का भारत का समय आ चुका है।
चंद्रयान 3 का लैंडर काम करने में जुटा
इसरो के लिए चंद्रयान 3 की सॉफ्ट लैंडिंग ही मिशन नहीं है बल्कि विक्रम लैंडर का असल का लैंड होने के बाद शुरू हुआ है। चंद्रयान 3 के विक्रम लैंडर पर लगे वैज्ञानिक उपकरण चंद्रमा की सतह का अध्ययन करेंगे। रोवर पर दो अहम स्टडी करने की जिम्मेदारी है। इसमें सबसे पहले लेजर से उस जमीन की स्टडी की जाएगी। जमीन पर उपस्थित रसायनों के बारे में जानने की कोशिश भी की जाएगी। छह पहियो वाला रोवर चांद पर धरती के 14 दिनों तक रहने वाला है। ISRO के मुताबिक, चंद्रयान-3 के लिए तीन मुख्य मकसद हैं: पहला, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग कराना, जोकि पूरा हो चुका है। दूसरा, चंद्रमा की सतह कही जाने वाली रैजोलिथ पर लैंडर को उतारना और घुमाना। लैंडर और रोवर्स से चंद्रमा की सतह पर शोध कराना।
रोवर मॉड्यूल का काम
- चंद्रयान-3 के रोवर का वजन केवल 26 किलोग्राम है। इसमें बिजली उत्पादन के लिए सोलर पैनल के साथ बैटरी भी शामिल है।
- 91.7 सेमी लंबा, 75 सेमी चौड़ा और 39.7 सेमी ऊंचा, रोवर अपने छह पहियों की मदद से चांद की सतह पर चलेगा।
- यह इकट्ठा की गई जानकारी लैंडर को भेजता है, तो लैंडर इसे भारतीय डीप स्पेस नेटवर्क को भेजेगा।
- रोवर पर लगा LIBS उपकरण चांद पर मैग्नीशियम, एल्यूमीनियम, सिलिकॉन, कैल्शियम, टाइटेनियम तत्वों का पता लगाएगा।