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Kartavyapath| अमृत काल के विजन पर तेजी से बढ़ता राष्ट्र, मोबिलिटी सेक्टर को मिलेगी ताकत

आज का भारत दो हजार सैंतालीस का विकसित भारत बनने के लक्ष्य को लेकर तेजी से आगे बढ़ रहा है। इस लक्ष्य की प्राप्ति में मोबिलिटी सेक्टर की बहुत बड़ी भूमिका है। समुद्र और पहाड़ों को चुनौती दिए जाने के बाद इंजीनियरिंग का नमूना पेश किया गया है। भारत अटल टनल से लेकर अटल सेतु इंफ्रास्ट्रक्चर की फील्ड में हुए नए रिकॉर्ड को दर्शाते है। इंफ्रास्ट्रक्चर पर तेजी से काम हो रहा है, जिससे संभावनाएं बढ़ रही है।

इन संभावनाओं के बीच ही नई दिल्ली को भारत मंडपम में 2 फरवरी को भारत की सबसे बड़ी और अपनी तरह की पहली गतिशीलता प्रदर्शनी- भारत में मोबिलिटी ग्लोबल एक्सपो 2024 आयोजित किया गया। प्रदर्शनी में 50 से अधिक देशों के 800 से अधिक प्रदर्शकों ने अत्याधुनिक तकनीक, टिकाऊ समाधान और गतिशीलता के पहलुओं को प्रदर्शित किया तो वहीं मोटर गाड़ियों के कलपुर्जे बनाने वाले 600 से अधिक निर्माता और 28 से अधिक वाहन निर्माताओं की भागीदारी रही। प्रदर्शनी में 13 से अधिक वैश्विक बाजारों के एक हजार से अधिक ब्रांड ने अपने उत्पाद, प्रौद्योगिकी और सेवाओं का प्रदर्शन किया।

भारत भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए ही नई नीतियों का निर्माण कर रहा है। वर्ष 2014 में भारत का पूंजीगत खर्च 2 लाख करोड़ रुपये से भी कम था जो आज 11 लाख करोड़ से अधिक हो गया है। इससे भारत के मोबिलिटी सेक्टर को अनेक अवसर मिलेंगे। इस अभूतपूर्व खर्च से रेल, सड़क, हवाई अड्डे, जलमार्ग परिवहन और अन्य तरह के परिवहन के साधनों में बदलाव आया है। इसी कड़ी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मोबिलिटी सेक्टर को संबोधित किया है। इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है। वर्तमान सरकार के तीसरे कार्यकाल में भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। भविष्य की तमाम संभावनाओं का उपयोग करने के लिए संबंधित उद्योग भी तेजी से बदलाव ला रहे है। देश में गतिशीलता क्षेत्र में बदलाव दिख रहा है। बीते 10 वर्षों के दौरान देश की सरकार के प्रयासों से 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले है। बीते एक दशक में पीएम मोदी के नेतृत्व में मोबिलिटी सेक्टर की तस्वीर में भी बदलाव देखने को मिला है।

इस दौरान देश में चार लाख किलोमीटर ग्रामीण सड़कें और 90 हजार किलोमीटर का नेशनल हाईवे बनाया गया है। वर्ष 2014 के पहले तक एक दशक में 12 करोड़ गाड़ियां बिकती थी, जबकि 2014 के बाद के दशक में 21 करोड़ गाड़ियों की बिक्री हुई है।

भारत में पहले रोजाना सिर्फ दो हजार इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री होती थी मगर केंद्र सरकार के पर्यावरण को बचाने और सुरक्षित रखने के प्रयासों के तहत अब इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री 12 लाख पर पहुंच गई है।

बीते एक दशक में यात्री वाहनों की संख्या 60 फीसदी और दोपहिया वाहनों की संख्या 70 फीसदी बढ़ी है।  जनवरी 2024 में कारों की बिक्री इतनी अधिक हुई है कि पुराने सभी रिकॉर्ड ध्वस्त हो गए। वहीं एक दशक में देश में कुल पचहत्तर नए हवाईअड्डों का निर्माण किया गया है। इस दौरान कुल 3500 किलोमीटर के हाईस्पीड कॉरिडोर का निरमाण हुआ है। वहीं 15 शहरों को मेट्रो ट्रेन की सुविधा उपलब्ध हुई है। 25000 रेलमार्गों का निर्माण भी हुआ है।

फास्टैग तकनीक के जरिए वाहन चालकों को लाभ हुआ है। इससे ईंधन और समय की बचत हुई है। वहीं अर्थव्यवस्था में भी 40 हजार करोड़ रुपये का वार्षिक लाभ हुआ है। भारत यात्री वाहनों के लिए भी दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा बाजार है। वैश्विक स्तर पर वाणिज्यिक वाहनों का निर्माण करने वाले शीर्ष तीन देशों में भारत का नाम है। नेशनल इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन इलेक्ट्रिक वाहन के विनिर्माण को बढ़ावा मिल रहा है। इलेक्ट्रिक वाहन की मांग पैदा करने के लिए सरकार ने 10 हजार करोड़ रुपये का निवेश किया है। भारत का जहाजरानी मंत्रालय स्वदेशी तकनीक का उपयोग कर हाई ब्रिड जहाज बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। 

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