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भारत अमृत काल पहला वर्ष मना रहा है। अमृत काल के पहले वर्ष में पड़ने वाली यह दीपावली संकल्प शक्ति से युक्त भारत के नवनिर्माण की दिवाली है। यह दिवाली अमृत यात्रा से भारत को विकसित बनाकर सशक्त करने की शुरुआत करेगी। भारतीय रीति और परंपराओं के जरिए त्योहार से देश के जन-जन को एक संकल्प से जोड़ा है। इसी के जरिए राष्ट्र को आत्मनिर्भरता के मार्ग पर चलने का अवसर भी मिला है जिसका प्रमुख उदाहरण है लोकल के लिए वोकल। स्वर का लोकल का ही नतीजा है कि भारत के श्रम की महक चारों दिशाओं में फैलने लगी है। एक समय ऐसा था कि कई उत्पादों के लिए भारत को कभी आयात पर निर्भर रहना पड़ता था लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वर का लोकल और आत्मनिर्भर भारत के आह्वान से यह धारा बदल गई है। स्वर का लोकल अभियान से न केवल विकसित भारत के संकल्प का आधार बना है बल्कि दशकों से सुदूर क्षेत्र में रहने वाले आदिवासी हो या फिर अन्य वंचित पिछड़े वर्ग के लोग जिनके उत्पादन और कल को एक विशेष क्षेत्र तक सीमित कर दिया गया था उन्हें भी इस लोकल फॉर वोकल के जरिए नई उम्मीद और नया अवसर मिला है।
इस अभियान के जरिए जनजातीय चेहरों पर नई मुस्कान आई है। हर भारतीय ने स्थानीय स्तर पर बने स्वदेशी उत्पाद की भावना से खुद को गर्वित महसूस किया। आज के समय में भारत में इस अभियान के तहत कड़ी के खिलौने से लेकर रक्षा से इलेक्ट्रॉनिक्स तक केंद्र सरकार ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं जिससे वह कल का लोकल और आत्मनिर्भर भारत की नींव मजबूत हुई है। भारत इतना सशक्त हो गया है कि आज सेवा के उपकरण साइकिल से लेकर बाइक तक मोबाइल से लेकर कर तक घरेलू उत्पाद से लेकर मेडिकल डिवाइस तक सब कुछ मेड इन इंडिया के तहत बनाया जा रहा है। मेड इन इंडिया, वोकल फॉर लोकल, आत्मनिर्भर भारत जैसे आह्वानों से देश की महक हर तरफ फैल रही है। भारतीय जनता अब लोकल उत्पाद खरीदने के साथ ही उनका प्रचार भी कर रही है। वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत को मजबूत स्थिति दिलाने के लिए वह कल का लोकल को अमृत कल का मंत्र बनाया गया है। विदेशी उत्पादों के अलावा अब हर तरफ स्वर का लोकल की अलग गूंजती दिख रही है। इसके तहत नई इनोवेशन, नई इच्छा शक्ति के साथ अपनी ताकत को पहचान कर भारत आत्मनिर्भर बनने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रहा है। आजादी के अमृत काल में देश ने फैसला किया है कि वह कल का लोकल के हवन से भारत की जनजातीय परंपराओं को इसकी शौर्य गाथाओं को देश के कोने-कोने तक फैला कर इसे नई और भव्य पहचान दी जाएगी।
गौतम है कि भारत का विकास लोकल का लोकल के मंत्री में छिपा हुआ है। ऐसे में जब कोई स्थानीय उत्पाद खरीदते हैं तो हम अपनी कर्तव्य का पालन भी करते हैं। आत्मनिर्भर भारत को गति देने के लिए आज के समय में लाखों युवा महिलाएं बच्चे अपने इस कर्तव्य की भावना को जी रहे हैं। आज के समय में आत्मनिर्भर भारत स्वर का लोकल यानी भारत में बनी सामग्रियों को अपनाने की बात घर-घर तक न सिर्फ फैल चुकी है बल्कि जनता ने इस आह्वान को खुले दिल से अपनाया भी है। स्वर का लोकल आत्मनिर्भर भारत का सबसे अधिक लाभ किसानों, बुनकरों, हस्त शिल्पियों और विश्वकर्मा को हुआ है।
वोकल फॉर लोकल से जनजातीय उत्थान हुआ
देशभर में जारी स्वर का लोकल अभियान के तहत आदिवासी कला कौशल को आय का साधन बनाया गया है। दर्शी को पुराने कानून जो आदिवासी लोगों को बस जैसी वन उपज को काटने से रोकते थे उन्हें केंद्र सरकार ने बदला है। इसके साथ ही वन उपज पर आदिवासियों को अधिकार भी दिए गए हैं। केंद्र सरकार प्रयास कर रही है कि वन उत्पादों को प्रोत्साहित किया जाए। इसके तहत 12 वन उत्पादों को पहले एसपी पर खरीदा जाता था लेकिन अब केंद्र सरकार ने 12 की जगह कल 90 उत्पाद वन उपज के तौर पर शामिल किए हैं। देश ने वन धन योजना के जरिए वन संपदा को आधुनिक अवसरों से जोड़ने का काम किया है। भारत में 3000 से अधिक वन धन विकास केंद्र के साथ 50,000 से अधिक वन धन सेल्फ हेल्प ग्रुप कम कर रहे हैं।
एक जिला एक उत्पाद से लोकल बना ग्लोबल
दुनिया भर में आई महामारी के बाद भी कृषि के क्षेत्र में देश के किसानों ने कृषि उत्पादों के निर्यात में कमाल किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की योजना एक जिला एक उत्पाद ने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस योजना के जरिए देश में पहली बार कई क्लस्टरों से भी निर्यात हुए हैं। अब भारतीय उत्पाद विश्व में शान भी बढ़ा रहे हैं। भारतीय उत्पादों को जीआई टैग मिला है जिससे उसकी वैश्विक पहचान मिली है। स्वर का लोकल मंत्र के साथ देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए 140 करोड़ भारतीयों ने संकल्प लिया है। इस संकल्प को पूरा करने के लिए स्थानीय उत्पादन और बाजार को बढ़ावा भी दे रहे हैं। केंद्र सरकार ने जनजातीय क्षेत्रों और लोगों को वह कल पर लोकल अभियान से आत्मनिर्भर भारत का सारथी बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम आगे बढ़ाया है जिसका लाभ देश भर में हो रहा है। आज के लिए इतना ही अगले कर्तव्य पथ में किसी और मुद्दे पर देंगे आपको विस्तृत जानकारी तब तक के लिए जुड़े रहें प्रभा साक्षी के साथ