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Odisha Train Accident: रेलवे का वो Kavach जो ट्रेनों के टक्कर को रोकता है, जानें कैसे करता है काम

ओडिशा के बालासोर में तीन ट्रेनों की टक्कर में कम से कम 238 लोगों की मौत हो गई और लगभग 900 लोग घायल हो गए। हादसा शुक्रवार शाम करीब सात बजे हुआ जब कोरोमंडल एक्सप्रेस एक मालगाड़ी से टकराने से पहले पटरी से उतर गई। एक अन्य ट्रेन, यशवंतपुर-हावड़ा सुपरफास्ट, फिर पटरी से उतरे डिब्बों में दुर्घटनाग्रस्त हो गई। ट्रेनों के बीच इस तरह के टकराव को रोकने के लिए, भारतीय रेलवे द्वारा कवच नामक एक स्वदेशी रूप से विकसित स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (एटीपी) प्रणाली शुरू की गई थी। इसे  ‘कवच’ का नाम दिया गया था। अब यह ‘कवच’ चर्चा में आ गया है। 
 

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भारतीय रेलवे ने मानव त्रुटि के कारण होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए ‘कवच’ (ट्रेन टक्कर बचाव प्रणाली) नामक एक स्वदेशी स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली विकसित की है। भारतीय रेलवे ने इसे RDSO (रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन) के जरिए विकसित किया है। इस पर 2012 में काम शुरू हुआ था। इस सिस्टम को विकसित करने के पीछे रेलवे का उद्देश्य यही था कि ट्रेनों के एक्सीडेंट को रोका जा सके। इसका पहला ट्रायल साल 2016 में किया गया था। रेलवे के मुताबिक यह सबसे सस्ता ऑटोमैटिक ट्रेन टक्कर प्रोटेक्शन सिस्टम है। प्रौद्योगिकी सुरक्षा अखंडता स्तर 4 (एसआईएल-4) प्रमाणित है, जो उच्चतम प्रमाणीकरण स्तर है। इसका अर्थ है कि 10,000 वर्षों में कवच द्वारा केवल एक त्रुटि की संभावना है।

कवच उच्च आवृत्ति रेडियो संचार का उपयोग करता है और टक्करों को रोकने के लिए निरंतर अद्यतन के सिद्धांत पर काम करता है। अगर ड्राइवर इसे नियंत्रित करने में विफल रहता है तो सिस्टम ट्रेन के ब्रेक को स्वचालित रूप से सक्रिय कर देता है। कवच सिस्टम से लैस दो लोकोमोटिव के बीच टकराव से बचने के लिए ब्रेक भी लगाता है। जैसे ही कोई लोको पायलट सिग्नल को जंप करता है तो कवच एक्टिव हो जाता है। यह लोको पायलट को अलर्ट करना शुरू कर देता है। इसके बाद यह स्वत: ही ब्रेक्स पर कंट्रोल करना शुरू कर देता है। सिस्टम को जैसे ही पता चलता है कि ट्रैक पर दूसरी ट्रेन आ रही है तो यह पहली ट्रेन की मूवमेंट को पूरी तरीके से रोक देता है। इसकी सबसे खास बात यह भी है कि अगर कोई ट्रेन सिगनल जंप करती है तो 5 किलोमीटर के दायरे में मौजूद सभी ट्रेनों की मूवमेंट रुक जाएगी। फिलहाल यह सभी रूटों पर इंस्टॉल नहीं किया गया है।

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने 29 मार्च को कवच के तहत लाए गए रूटों के बारे में लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में जानकारी दी थी। मार्च तक, दक्षिण मध्य रेलवे में 1455 किमी (रूट किलोमीटर) नेटवर्क मार्ग को कवच के तहत लाया गया है, जिसमें से 576 किमी महाराष्ट्र राज्य यानी मनमाड (छोड़कर) – धामाबाद और उदगीर – परभणी खंड के अंतर्गत आता है। यह भारतीय रेलवे के कुल नेटवर्क का लगभग 2 प्रतिशत है। मार्च 2024 की लक्षित पूर्णता तिथि के साथ कवच के रोलआउट की योजना नई दिल्ली-हावड़ा और नई दिल्ली-मुंबई खंडों पर की गई है। कवच के विकास पर कुल खर्च 16.88 करोड़ रुपये है।

अभी यह स्पष्ट नहीं है कि हादसा किस वजह से हुआ, लेकिन सूत्रों ने संकेत दिया है कि इसका संभावित कारण सिग्नल में गड़बड़ी होना है। भारतीय रेलवे के प्रवक्ता अमिताभ शर्मा ने कहा, ‘‘बचाव अभियान पूरा हो गया है। हम अब बहाली प्रक्रिया शुरू कर रहे हैं। इस मार्ग पर कवच प्रणाली उपलब्ध नहीं थी।’’ रेलवे अपने नेटवर्क में ‘कवच’ प्रणाली उपलब्ध कराने की प्रक्रिया में है, ताकि रेलगाड़ियों के टकराने से होने वाले हादसों को रोका जा सके।

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