Breaking News

इस बार छत्रसाल स्टेडियम में जनता की अदालत लगाने जा रहे केजरीवाल, जंतर मंतर से साधा था RSS पर निशाना

तिहाड़ जेल से बाहर आने के बाद आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल लगातार जनता के बीच जाने की कोशिश कर रहे हैं। इसकी कड़ी में उन्होंने दिल्ली विधानसभा चुनाव को देखने हुए ‘जनता की अदालत’ कार्यक्रम को शुरू किया है। केजरीवाल रविवार, 6 अक्टूबर को छत्रसाल स्टेडियम में एक बार फिर ‘जनता की अदालत’ कार्यक्रम को संबोधित करने के लिए तैयार हैं। इस पहल का उद्देश्य नागरिकों को अपनी चिंताओं और शिकायतों को सीधे सरकार तक पहुंचाने के लिए एक मंच प्रदान करना है।
 

इसे भी पढ़ें: आज दिल्ली की सड़के बिहार में लालू यादव के जमाने की सड़कों की याद दिला रही हैं: वीरेन्द्र सचदेवा

इस पहल का पिछला संस्करण 22 सितंबर को जंतर मंतर पर हुआ था, जहां केजरीवाल ने विभिन्न सार्वजनिक चिंताओं को संबोधित किया था। 2013 में पहली बार सत्ता संभालने के बाद से शासन के प्रति यह अभिनव दृष्टिकोण केजरीवाल के प्रशासन की पहचान रहा है। केजरीवाल द्वारा सरकार और दिल्ली के लोगों के बीच सीधे संवाद को बढ़ावा देने के लिए ‘जनता की अदालत’ की अवधारणा पेश की गई थी। यह कार्यक्रम नागरिकों को अपने मुद्दों को एक खुले मंच पर प्रस्तुत करने की अनुमति देता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि उनकी आवाज़ उनके नेताओं द्वारा सुनी और स्वीकार की जाती है। नागरिकों के साथ सीधे जुड़कर, AAP का लक्ष्य सरकार और जनता के बीच की खाई को पाटना है, जिससे शासन को अधिक सुलभ और भागीदारीपूर्ण बनाया जा सके।
 

इसे भी पढ़ें: अगर मुझे तीन-चार महीने पहले रिहा कर दिया गया होता तो ‘आप’ हरियाणा में सरकार बना लेती: केजरीवाल

अपने पहले ‘जनता की अदालत’ कार्यक्रम में केजरीवाल ने एक नयी राजनीतिक रणनीति के तहत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यों के लिए आरएसएस से जवाब मांगा। केजरीवाल ने यह कहकर मोदी का कद कम दिखाने की कोशिश की कि आरएसएस ही मुखिया है और उसे अपने बच्चों को नियंत्रण में रखना चाहिए। केजरीवाल ने एक रैली में कहा, क्या बेटा अब इतना बड़ा हो गया है कि वह अपनी मां को आंख दिखा रहा है? इस रैली में उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत से पांच सवाल किए। उन्होंने जो सवाल पूछे वे राजनीतिक रूप से भले ही सामान्य प्रतीत होते हों, लेकिन भागवत का जिक्र करना नयी और असामान्य बात है। केजरीवाल ने पूछा कि क्या आरएसएस केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल कर राजनीतिक दलों को तोड़ने, विपक्षी दलों की सरकारें गिराने और “भ्रष्ट” नेताओं को अपने पाले में करने की भाजपा की राजनीति से सहमत है?

Loading

Back
Messenger