उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में सरकार चल रही है। उत्तर प्रदेश की सफलता के बाद अब राजस्थान में भी उत्तर प्रदेश पार्ट टू की तैयारी होने लगी है। उत्तर प्रदेश के पड़ोसी राज्य राजस्थान में संभावना है कि योगी आदित्यनाथ के चेले बाबा बालकनाथ को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपी जाए। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राजस्थान में चुनाव नतीजे सामने आने के बाद बाबा बालकनाथ को दिल्ली बुलाया गया है।
अलवर से सांसद बाबा बालकनाथ ने अलवर के तिजारा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था, जिसमें उन्हें जीत मिली है। जब उन्हें उम्मीदवार बनाया गया था उसके बाद से ही चर्चा थी की वो राजस्थान के अगले मुख्यमंत्री हो सकते है। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बाद बाबा बालकनाथ को राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाए जाने की चर्चा जोरो पर है।
बाबा बालकनाथ संभालेंगे मुख्यमंत्री की कुर्सी
गौरतलब है कि बाबा गोरखनाथ का नाथ संप्रदाय की गोरखपुर पीठ से रिश्ता है, जिसके महंत योगी आदित्यनाथ है। वहीं बाबा बालक नाथ रोहतक पीठ या गद्दी के महंत है। उनके गुरु बाबा चांदनाथ के निधन के बाद बाबा बालकनाथ को रोहतक पीठ का महंत बनाया गया था। खासबात है कि बाबा बालकनाथ को रोहतक पीठ का महंत बनाए जाने का प्रस्ताव भी योगी आदित्यनाथ ने ही रखा था।
बाबा बालकनाथ दिला सकते हैं दोगुणा फायदा
बाबा बालकनाथ को अगर राजस्थान की कमान सौंपी जाती है तो इससे बीजेपी को दोगुणा फायदा हो सकता है। बाबा बालक नाथ मुख्यमंत्री बनते हैं तो हरियाणा में बीजेपी को लाभ हो सकता है। रोहतक में नाथ संप्रदाय के 150 से अधिक शिक्षण संस्थाएं है। बाबा बालकनाथ राजस्थान की कमान मिलने से हरियाणा में भी अहम भूमिका निभा सकते है।
जानें बाबा बालक नाथ के बारे में
बाबा बालक नाथ 39 वर्ष के हैं, जो राजस्थान में बीजेपी के फायरब्रांड नेता है। उन्होने तिजारा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा है। माना जा रहा है कि वो राज्य के मुख्यमंत्री हो सकते है। बता दें कि बाबा बालकनाथ और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दोनों का संप्रदाय नाथ संप्रदाय ही है। ऐसे में दोनों नेताओं के बीच एक दूसरे के प्रति आत्मीयता भी है। बता दें कि बाबा बालकनाथ छह वर्ष की आयु में ही आधयात्म की दुनिया में कदम रख चुके थे। 16 अप्रैल 1984 को अलवर जिले के कोहराना गांव के यादव परिवार में जन्में बाबा बालक नाथ का परिवार कृषि से जुड़ा था। परिवार में साधु संतों की खूब सेवा होती थी इस कारण बेहद छोटी उम्र में ही बाबा बालकनाथ महंत चांदनाथ के साथ हनुमानगढ़ मठ चले गए थे और आध्यात्म की दीक्षा ली थी।
वर्ष 2016 में संभाला मठ
बाबा बालकनाथ ने वर्ष 2016 में रोहतक के मस्तनाथ मठ के उत्तराधिकारी की जिम्मेदारी संभाली थी। वो बाबा मस्तनाथ विश्व विद्यालय के चांसलर है। वो हमेशा भगवा वस्त्र पहनते है। उनकी छवि पूरे प्रदेश में आध्यात्मिक है। वो जनता के बीच मजबूती के साथ अपनी बात रखने के लिए जाने जाते है।
जानें नाथ संप्रदाय के बारे में
बता दें कि बाबा बालकनाथ नाथ संप्रदाय से आते हैं, जिसमें कई रीति रिवाज बेहद अलग होते है। इस संप्रदाय में योगी बनने के लिए महंत को पहले एकांतवास में समय बिताना होता है। इस एकांतवास के दौरान खाने-पीने पर गंभीर नियंत्रण रखना होता है। एकांत वास कुल 40 दिनों का होता है। संप्रदाय का हिस्सा बनने के लिए योगी को संसार से मोह खत्म करना होता है। योग और अग्नि से खुद को पवित्र बनाया जाता है। यही कारण है कि नाथ संप्रदाय में दाह संस्कार का नियम नहीं है। संप्रदाय में मृत समाधि दी जाती है, जिसमें मृत शरीर को मिट्टी में दफन किा जाता है। संप्रदाय में कर्ण छेदन भी किया जाता है, जो काफी पीड़ादायक होती है। ये एक तरह की शिष्यों के लिए परीक्षा होती है। इसमें पास होने के बाद ही नाथ संप्रदाय में महंत शामिल होते है।