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उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने शनिवार 18 नवंबर को बड़ा फैसला लेते हुए हलाल सर्टिफिकेशन के खाद्य पदार्थों पर बैन लगाया है। हलाल सर्टिफिकेशन के खाद्य पदार्थों को बनाने, बेचने और भंडारण पर रोक लगाई गई है। उत्तर प्रदेश सरकार ने ये फैसला लेते हुए कहा कि तेल, साबुन, टूथपेस्ट और शहद जैसे शाकाहारी प्रोडक्ट्स को लेकर हलाल सर्टिफिकेट की जरुरत नहीं होगी।
उत्तर प्रदेश सरकार ने हलाल सर्टिफाइड उत्पादों पर बैन लगाते हुए ये दावा किया है कि ये बैन सार्वजनिक स्वास्थ्य के हित को देखते हुए लगाया गया है। भ्रम को रोकने के लिए भी इसे लगाया गया है। राज्य सरकार के आदेश में कहा गया कि खाद्य उत्पादों का हलाल प्रमाणीकरण से खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता के संबंध में भ्रम पैदा होता है। उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने आदेश में कहा कि खाद्य उत्पादों को हलाल सर्टिफिकेट देने से खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता के संबंध में भ्रम पैदा होता है। कानून मूल इरादे के भी ये खिलाफ होता है।
हलाल और इसके सर्टिफिकेशन के बारे में जानें
जानकारी के मुताबिक इस्लामी कानून की आवश्यकता को पूरा करने वाले प्रोडक्ट और मुसलमानों के इस्तेमाल करने के लिए उपयुक्त उत्पाद हलाल-सर्टिफाइड प्रोडक्ट कहलाते है। बता दें कि हलाल अरबी शब्द है जिसका अर्थ अनुमति होता है। बता दें कि हलाल सर्टिफिकेट पहली बार 1974 में वध किए गए मांस के लिए शुरू किया गया था। 1974 से पहले हलाल सर्टिफिकेट का कोई रिकार्ड उपलब्ध नहीं है।
बता दें कि हाल ही में वंदे भारत ट्रेन में चाय प्रीमिक्स के एक पूछ को लेकर हंगामा हुआ था। सर्टिफिकेशन को लेकर काफी चर्चा हो रही है। प्रोडक्ट्स को आयात करने वाले देशों को भारत में किसी मान्यता प्राप्त निजी संगठन से हलाल प्रमाण पत्र लेने की आवश्यकता होती है। यह हलाल सर्टिफिकेट किसी प्राइवेट संगठन से ही लिया जाता है क्योंकि इस संबंध में कोई सरकारी संस्थान नहीं है।