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‘भूमिहीन को भूमि योजना’ सिर्फ जम्मू-कश्मीर के निवासियों के लिए : प्रशासन

जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने भूमिहीनों को पट्टे पर भूमि देने की योजना को स्वीकृति दे दी है। हालांकि इस योजना का लाभ संघ शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के निवास प्रमाणपत्र धारकों को ही मिलेगा।
जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने जुलाई में भूमिहीनों के लिए भूमि योजना शुरू की। हालांकि घाटी के राजनीतिक दलों ने प्रशासन के इस कदम पर प्रश्न उठाए थे और लाभार्थियों के संबंध में स्पष्टीकरण मांगा था।
राजस्व विभाग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार, संघ शासित प्रदेश के प्रशासन ने प्रधानमंत्री आवास योजना के भूमिहीन लाभार्थियों को पट्टे पर पांच मरला सरकारी भूमि उपलब्ध कराने को मंजूरी दे दी है।
ग्रामीण विकास विभाग की स्थाई प्रतीक्षा सूची 2018-19 से ऐसे लोगों को इसका लाभ मिलेगा तो सरकारी जमीन, वन भूमि, ‘रख्स’ या खेतों में रह रहे हैं।

लाभार्थियों में ऐसे लोग भी शामिल हैं जो घाटी छोड़कर जा चुके लोगों की संपत्ति पर काबिज हैं या जिनके पास सरकार द्वारा दाचिगाम पार्क के पास आवंटित कृषि भूमि है। इस जमीन पर निर्माण कार्य प्रतिबंधित है।
आदेश के अनुसार, किसी भी व्यक्ति को ऐसी स्थिति में भूमिहीन माना जाएगा जब उसके पास जम्मू-कश्मीर का निवास प्रमाणपत्र हो, उसका अलग परिवार हो और उसके या उसके परिवार के किसी भी व्यक्ति के नाम पर कोई जमीन ना हो या फिर उसे विरासत में पांच मार्ला या उससे ज्यादा जमीन ना मिलने वाली हो।
जम्मू-कश्मीर भूमि आवंटन अधिनियम, 1960 और उसके नियमों के आधार पर व्यक्ति को लीज पर जमीन दी जाएगी।

आदेश के अनुसार, जम्मू-कश्मीर भूमि आवंटन नियम, 2022 में नरमी बरतते हुए लाभार्थी को 100 रुपये प्रति मरला के एक मुश्त भुगतान पर जमीन पट्टे पर दी जाएगी और उससे जमीन के किराए के रूप में प्रतिवर्ष एक रुपये प्रति मरला किराया लिया जाएगा।
यह जमीन पहले 40 वर्ष के पट्टे पर दी जाएगी और अवधि समाप्त होने के बाद यदि व्यक्ति लाभार्थी होने के सभी मानदंडों को पूरा करता है तो पट्टे की अवधि को और 40 वर्ष के लिए बढ़ाया जा सकता है।
आदेश में कहा गया है, यदि लाभार्थी आवंटित भूमि पर दो वर्ष के भीतर आवास बनाने में असफल रहता है तो भूमि का पट्टा रद्द कर दिया जाएगा।

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