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Yes Milord: अस्थायी है लिव इन संबंध, पति की प्रॉपर्टी बेचकर महिला को गुजारा भत्ता, कोर्ट में इस हफ्ते क्या कुछ हुआ

सुप्रीम कोर्ट से लेकर लोअर कोर्ट तक के वीकली राउंड अप में इस सप्ताह कानूनी खबरों के लिहाज से काफी उथल-पुथल वाला रहा है। गैंगस्टर केस में माफिया डॉन मुख्तार अंसारी को 10 साल जेल की सजा सुनाई गई है और पांच लाख का जुर्माना भी लगाया गया है। इलाहबाद हाई कोर्ट ने कहा कि लिव-इन रिलेशनशिप टाइम पास है, इसमें स्थिरता और ईमानदारी की कमी है। सुप्रीम कोर्ट ने महिला के पति की पुश्तैनी संपत्ति की कुर्की कर उसे बेचने और बकाया गुजारा भत्ता के भुगतान का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट की तरफ से न्यायाधीशों को क्या नसीहत दी गई है। इस हफ्ते यानी 23 अक्टूबर से 28 अक्टूबर तक क्या कुछ हुआ? कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट और टिप्पणियों का विकली राउंड अप आपके सामने लेकर आए हैं। कुल मिलाकर कहें तो आपको इस सप्ताह होने वाले भारत के विभिन्न न्यायालयों की मुख्य खबरों के बारे में बताएंगे।

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गैंगस्टर केस में मुख्तार को मिली 10 साल की सजा
जेल में बंद मुख्तार अंसारी को गाजीपुर के विशेष कोर्ट ने गैंगस्टर के एक और मामले में 10 साल की सजा सुनाई है। पांच लाख का जुर्माना भी लगाया। सह आरोपी सोनू यादव को पांच साल की सजा हुई। 2009 में शिक्षक कपिल देव सिंह की हत्या को आधार बनाकर केस दर्ज हुआ था। सितंबर 2022 के बाद से यह छठी बार है जब मुख्तार को सजा सुनाई गई है। उन्हें 1991 के अवधेश राय हत्याकांड में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी, जबकि दो अन्य मामलों में भी उन्हें 10 साल कैद की सजा सुनाई गई थी। मुख्तार और सोनू को दोषी ठहराने के बाद अपर सत्र न्यायाधीश-तृतीय (एमपी-एमएलए) अरविंद कुमार मिश्रा ने शुक्रवार देर दोपहर दोनों को सजा सुनाई। उन्होंने मुख्तार को 10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई और उनमें से प्रत्येक पर 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। फैसले में कहा गया कि जुर्माने की रकम नहीं चुकाने की स्थिति में उनकी सजा में दो साल की कैद भी जोड़ी जाएगी।
अस्थायी है लिव इन संबंध
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक अंतरधार्मिक लिव-इन जोड़े की ओर से लिव-इन रिलेशनशिप में रहने के कारण पुलिस से सुरक्षा की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि ऐसे रिश्ते बिना किसी ईमानदारी के विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण की वजह से बनते हैं, जो अक्सर टाइमपास में बदल जाते हैं। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि दो महीने की अवधि में और वह भी 20-22 साल की उम्र में कोर्ट यह उम्मीद नहीं कर सकता कि दोनों इस प्रकार के अस्थायी रिश्तों पर गंभीरता से विचार कर पाएंगे। हालांकि कोर्ट ने ये स्वीकार किया कि सुप्रीम कोर्ट ने कई मामलों में लिव इन रिलेशनशिप को वैध ठहराया है। कोर्ट ने कहा कि ऐसे रिश्ते में स्थिरता और ईमानदारी की तुलना में मोह अधिक होता है।

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पति की प्रॉपर्टी बेचकर महिला को गुजारा भत्ता
सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में महिला के पति की पुश्तैनी संपत्ति की कुर्की कर उसे बेचने और बकाया गुजाराभत्ता के भुगतान का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि महिला के बकाया एक करोड़ 25 लाख रुपये के गुजाराभत्ते का भुगतान किया जाए। महिला ने पति के खिलाफ अर्जी दाखिल कर बकाया गुजाराभत्ते के भुगतान का निर्देश देने की गुहार लगाई। महिला का कहना था कि वह अपनी विधवा मां के साथ रह रही है और भरण पोषण के लिए उन्हीं पर निर्भर है। महिला का आरोप है कि पति ऑस्ट्रेलिया चला गया और वहां के फैमिली कोर्ट से उसने 2017 में तलाक लिया। विलासपुर के फैमिली कोर्ट में महिला ने तलाक कैंसल करने के लिए 8 नवंबर 2021 को अर्जी दाखिल की जो पेंडिंग थी। इसी दौरान पति ने ऑस्ट्रेलिया में दूसरी शादी कर ली। महिला का आरोप है कि फैमिली कोर्ट ने प्रति महीने एक लाख रुपये गुजारा भत्ता 2016 में तय किया और बाद में उसे बढ़ाकर एक लाख 27 हजार 500 प्रति महीने किया गया लेकिन पति ने ये गुजारा भत्ता नहीं दिया।
मुख्य न्यायाधीश जब तक न सौंपे, तब तक केस न लें
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर चीफ जस्टिस ने किसी जज को कोई मामला नहीं सौंपा है तो फिर उन्हें उस पर सुनवाई से बचना चाहिए, क्योंकि ऐसा नहीं करने से चीफ जस्टिस द्वारा बनाए गए रोस्टर का कोई मतलब नहीं रह जाएगा। जस्टिस एएस ओका की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि जजों को तब तक किसी मामले की सुनवाई नहीं करनी चाहिए, जब तक कि वह उन्हें रोस्टर के तहत सौंपा न जाए या फिर चीफ जस्टिस द्वारा विशेष तौर पर सुनवाई के लिए न भेजा जाए। सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की है।
ईडी के संपत्ति जब्त करने के अधिकार को परखेगा सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट इस बात का परीक्षण करेगा कि क्या मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत किए गए अपराध से पहले की अर्जित संपत्ति ईडी जब्त कर सकती है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस ए. एस. ओका की अगुआई वाली बेंच ने इस मामले में केंद्र सरकार के वित्त मंत्रालय की ओर से दाखिल अर्जी पर सुनवाई के दौरान नोटिस जारी किया है। पटना हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। पटना हाई कोर्ट ने ईडी के कुछ प्रोविजनल अटैचमेंट को खारिज कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत ईडी को दी गई शक्तियों को वरकरार रखने के फैसले के खिलाफ दाखिल रिव्यू पिटिशन पर भी सुनवाई करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए तीन जजों की बेंच बनाई है। सुप्रीम कोर्ट पीएमएलए कानून के कुछ प्रावधानों का दोवारा परीक्षण करेगा। 

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