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फंसे हुए श्रमिकों को शीघ्र बाहर निकालने के लिए अपने देवता से प्रार्थना कर रहे हैं स्थानीय निवासी

सिलक्यारा सुरंग में बीते 13 दिनों से फंसे 41 श्रमिकों के लिए चलाये जा रहे बचाव अभियान में बार-बार बाधा आने के बीच आस-पास के गांवों के लोग इन्हें सकुशल शीघ्र बाहर निकालने के लिए स्थानीय देवता बाबा बौखनाग से प्रार्थना कर रहे हैं।
कई स्थानीय लोगों ने पीटीआई-से कहा वे श्रमिकों की सलामती और उन्हें सुरक्षित बाहर निकालने के लिए प्रतिदिन प्रार्थना करते हैं।
सुरंग से लगभग 10 किलोमीटर दूर स्थित भ्रमखाल गांव के रहने वाले राजेश रावत ने कहा कि वह और उनके परिवार के सदस्य प्रतिदिन बाबा बौखनाग से प्रार्थना कर रहे हैं।
अपने गांव में एक ‘होमस्टे’ के मालिक रावत ने कहा कि बाबा बौखनाग में स्थानीय लोगों की दृढ़ आस्था है और ‘‘हमें उम्मीद है कि उनके आशीर्वाद से श्रमिक जल्द ही बाहर आ जाएंगे।’’

स्थानीय निवासियों के अनुसार, बौखनाग देवता को क्षेत्र का रक्षक माना जाता है।
सिलक्यारा गांव में सड़क किनारे भोजनालय चलाने वाले राजेंद्र सिंह नाम के व्यक्ति ने कहा कि सुरंग में फंसे श्रमिकों के लिए प्रार्थना करने के अलावा, उनके गांव में हर कोई घटना स्थल पर बचाव कर्मियों की मदद करने की कोशिश कर रहा है।
सुरंग से लगभग तीन किमी दूर मेहरगांव के निवासी बृज मणि भट्ट ने कहा कि वह हर सुबह दीया जलाते हैं और फंसे हुए श्रमिकों के जल्द से जल्द बाहर निकलने की कामना करते हैं।
भट ने कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि फंसे हुए श्रमिक जल्द ही बाहर आ जाएंगे और अपने परिवार के सदस्यों से मिलेंगे। बचाव दल के सदस्य लगातार काम कर रहे हैं लेकिन दुर्भाग्य से मशीनों के संचालन में व्यवधान आने से काम रुक गया है।

हमें तकनीकी जानकारी नहीं है और हम ज्यादा कुछ नहीं कर सकते लेकिन उन्हें जल्द से जल्द सुरक्षित बाहर निकालने के लिए अपने देवता से प्रार्थना तो कर ही सकते हैं।’’
स्थानीय लोगों का कहना है कि रविवार को सुरंग के पास बाबा बौखनाग के मंदिर में मेला लगेगा।
इससे पहले, कई स्थानीय लोगों ने कहा था कि उनका मानना है कि निर्माणाधीन सुरंग बाबा बौखनाग के क्रोध के कारण ढह गई, जिसके निर्माण के लिए मंदिर को ध्वस्त कर दिया गया।

सुरंग के ढहे हुए हिस्से में ‘ड्रिलिंग’ शुक्रवार से रूकी हुई है क्योंकि ऑगर मशीन को एक के बाद एक बाधा का सामना करना पड़ रहा है।
बचावकर्ता अब अन्य विकल्प तलाश रहे हैं जैसे कि 10 से 12 मीटर के शेष हिस्से को हाथ से ‘ड्रिलिंग’ करना या अंदर फंसे 41 मजदूरों के लिए एक लम्बवत मार्ग निर्मित करना। चारधाम यात्रा मार्ग पर निर्माणाधीन इस सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर को ढह गया था, जिससे उसके अंदर काम कर रहे श्रमिक मलबे के दूसरी ओर फंस गए। तब से विभिन्न एजेंसियां उन्हें निकालने के लिए युद्धस्तर पर बचाव अभियान चला रही हैं।

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