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मध्यप्रदेश : फर्जी डिग्री के सहारे राजपत्रित अधिकारी बने 10वीं उत्तीर्ण व्यक्ति को चार साल सश्रम कारावास की सजा

इंदौर। फायर इंजीनियरिंग की फर्जी डिग्री की मदद से राजपत्रित अधिकारी का पद हासिल करने के जुर्म में इंदौर की एक अदालत ने अग्निशमन विभाग के पूर्व प्रमुख अधीक्षक को चार साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई है।
अभियोजन के एक अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
अधिकारी ने बताया कि अपर सत्र न्यायाधीश संजय गुप्ता ने अग्निशमन विभाग के पूर्व प्रमुख अधीक्षक बीएस टोंगर (70) को बृहस्पतिवार को चार वर्ष सश्रम कारावास की सजा सुनाई और उन पर करीब 12,000 रुपये का जुर्माना लगाया।
उन्होंने बताया कि भारतीय दंड विधान और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के संबद्ध प्रावधानों के तहत यह सजा सुनाए जाने के बाद टोंगर को अदालत से सीधे जेल भेज दिया गया।

अधिकारी ने बताया कि पुलिस के आर्थिक अपराध जांच प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) ने टोंगर के खिलाफ अग्निशमन विभाग के एक निरीक्षक की शिकायत पर मामला दर्ज किया था।
उन्होंने बताया कि टोंगर दिल्ली सरकार की एक विद्युत आपूर्ति इकाई में निम्न श्रेणी क्लर्क (एलडीसी) के रूप में पदस्थ थे और मध्यप्रदेश सरकार के अग्निशमन विभाग में प्रतिनियुक्ति पर आए थे।
अधिकारी ने ईओडब्ल्यू की जांच के हवाले से बताया कि टोंगर ने दिल्ली सरकार का अपना पुराना सेवा रिकॉर्ड खुर्द-बुर्द किया और नागपुर के एक महाविद्यालय के नाम पर अग्निशमन इंजीनियर की फर्जी डिग्री मध्यप्रदेश सरकार के सामने पेश की।

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उन्होंने कहा कि नकली डिग्री के बूते टोंगर ने इंदौर में अग्निशमन विभाग के प्रमुख अधीक्षक के रूप में राजपत्रित अधिकारी का ऊंचा पद प्राप्त कर लिया, जबकि वह केवल 10वीं तक पढ़े होने की वजह से इस ओहदे के लिए अयोग्य थे। अधिकारी ने बताया कि टोंगर फर्जी डिग्री के बूते करीब 30 साल तक प्रदेश सरकार की नौकरी करते रहे। अधिकारी के मुताबिक वह 2013 में सेवानिवृत्त हुए थे और इसी साल अदालत में उनके खिलाफ आरोप पत्र पेश किया गया था।
इस मामले में ईओडब्ल्यू की ओर से पैरवी करने वाले विशेष लोक अभियोजक अश्लेष शर्मा ने टोंगर पर जुर्म साबित करने के लिए अदालत के सामने 30 गवाह पेश किए थे।

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