महाकुंभ, जिसे दुनिया का सबसे बड़ा जमावड़ा माना गया, बुधवार को समाप्त हो रहा है। यह 45 दिन पहले शुरू हुआ था। लाखों भक्त शिवरात्रि के शुभ दिन पर डुबकी लगाने के लिए गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती के संगम में डुबकी लगाई। जबकि महाकुंभ में रिकॉर्ड तोड़ 65 करोड़ आगंतुकों ने भाग लिया। महाकुंभ, जो 12 वर्षों में एक बार होता है, 13 जनवरी (पौष पूर्णिमा) को शुरू हुआ और अब तक तीन अमृत स्नान हो चुके हैं। इस विशाल धार्मिक आयोजन में अब तक रिकॉर्ड 65 करोड़ से अधिक तीर्थयात्री शामिल हुए हैं।
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65 करोड़ से अधिक की भारी भीड़ के बीच पिछले 45 दिनों में ‘मोनालिसा’ और आईआईटी ‘बाबा’ जैसे कुछ चेहरे सुर्खियों में आए। कुंभ मेलों में, विभिन्न हिंदू संप्रदायों या ‘अखाड़ों’ के भक्त उपरोक्त स्थलों पर पवित्र नदियों में ‘शाही स्नान’ या शाही स्नान करने के लिए भव्य जुलूसों में भाग लेते हैं। ‘पुष्प वर्षा’ के प्रभारी वी के सिंह ने बताया कि स्नानार्थियों पर हर बार गुलाब की 20 क्विंटल पंखुड़ियों की वर्षा कराई गई और कुल 120 क्विंटल पंखुड़ियों की पुष्प वर्षा कराई गई है। उन्होंने बताया कि पहले दौर में सुबह आठ बजे पुष्प वर्षा कराई गई तथा सभी घाटों पर छह बार पुष्प वर्षा कराई गई। प्रत्येक 12 वर्ष में आयोजित होने वाले महाकुंभ में पहला स्नान पर्व 13 जनवरी को हुआ था।
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हिंदू पौराणिक कथाओं के मुताबिक, समुद्र मंथन में भगवान शिव ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। समुद्र मंथन से अमृत कलश निकला और इसकी बूंदें जहां जहां गिरीं, वहां वहां कुंभ मेले का आयोजन होता है। महाकुंभ मेले के छह स्नान पर्वों में तीन स्नान पर्व अमृत स्नान के थे और ये 14 जनवरी को मकर संक्रांति, 29 जनवरी को मौनी अमावस्या और तीन फरवरी को बसंत पंचमी पर संपन्न हुए। सभी 13 अखाड़े अमृत स्नान करके मेले से विदा हो चुके हैं। महाकुंभ मेले में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए मेला और जिला प्रशासन ने महाशिवरात्रि की पूर्व संध्या पर ही जिले और मेला क्षेत्र को ‘नो व्हीकल जोन’ घोषित कर दिया था।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लिखा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के मार्गदर्शन में आयोजित मानवता का ‘महायज्ञ’, आस्था, एकता और समता का महापर्व महाकुम्भ-2025, प्रयागराज आज महाशिवरात्रि के पवित्र स्नान के साथ ही अपनी पूर्णाहुति की ओर अग्रसर है। 13 जनवरी, पौष पूर्णिमा से प्रारंभ महाकुम्भ-2025, प्रयागराज में आज 26 फरवरी, महाशिवरात्रि की तिथि तक कुल 45 दिवसों में 66 करोड़ 21 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने पावन त्रिवेणी में स्नान का पुण्य लाभ प्राप्त किया। विश्व इतिहास में यह अभूतपूर्व है-अविस्मरणीय है।
उन्होंने कहा कि पूज्य अखाड़ों, साधु-संतों, महामंडलेश्वरों एवं धर्माचार्यों के पुण्य आशीर्वाद का ही प्रतिफल है कि समरसता का यह महासमागम दिव्य और भव्य बनकर सकल विश्व को एकता का संदेश दे रहा है। इस सिद्धि के सूत्रधार सभी गणमान्य जनों, देश-विदेश से पधारे सभी श्रद्धालुओं तथा कल्पवासियों का हार्दिक अभिनंदन एवं आभार।
महाकुम्भ के सुव्यवस्थित आयोजन के कर्णधार रहे महाकुम्भ मेला प्रशासन, स्थानीय प्रशासन, पुलिस प्रशासन, स्वच्छताकर्मियों, गंगा दूतों, स्वयंसेवी संगठनों, धार्मिक संस्थाओं, नाविकों तथा महाकुम्भ से जुड़े केंद्र व प्रदेश सरकार के सभी विभागों सहित प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग देने वाले सभी महानुभावों व संस्थाओं को साधुवाद। विशेष रूप से प्रयागराज वासियों का धन्यवाद, जिनके धैर्य एवं आतिथ्य सत्कार ने सबको सम्मोहित किया। माँ गंगा, भगवान बेनी माधव आप सबका कल्याण करें।