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वडोदरा के शाही महल में महाराजा की दुर्लभ व ‘विंटेज’ कारों का प्रदर्शन

मैसूर के तत्कालीन महाराजा की 1922 मॉडल की दुर्लभ डेमलर कार, 1937 की रोल्स रॉयस लिमोजिन जिसे बड़ौदा की महारानी के लिए विशेष रूप से बनाया गया था और अन्य दुर्लभ ‘विंटेज’ कारों का यहां एक शाही महल के परिसर में तीन दिनों तक प्रदर्शन किया जाएगा।
गुजरात के वडोदरा शहर में लक्ष्मी विलास पैलेस के परिसर में शुक्रवार से शुरू हुए शो में 1911 मॉडल की नेपियर, 1930 की कैडिलैक और अन्य दुर्लभ कारों सहित करीब 200 शानदार पुरानी कारों को प्रदर्शित किया जा रहा है।

बड़ौदा की राजमाता शुभांगिनीराजे गायकवाड़ ने 1922 मॉडल की दुर्लभ डेमलर कार में सवारी की थी। इस कार को मूल रूप से मैसूर राजघराना के लिए बनाया गया था तथा कार के बोनट पर उनके शाही प्रतीक चिन्ह को लगाया गया था।
तत्कालीन शाही परिवार के प्रमुख समरजीतसिंह गायकवाड़ और उनकी पत्नी राधिकाराजे गायकवाड़ ने हल्के भूरे रंग की एक कार में यात्रा की थी जिस पर बड़ौदा 1 कार लिखा है।

इस ऑटोमोबाइल शो के आयोजकों के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘‘ जिस कार में बड़ौदा के राजा, रानी और उनकी बेटी ने सवारी की थी, वह 1938 की रोल्स-रॉयस 25/30 है। मोटर कारों के इतिहास में पहली बार, बड़ौदा के महाराजा की कारों को भी शो के हिस्से के रूप में प्रदर्शित किया गया है, जिसमें जूरी सदस्यों और अंतरराष्ट्रीय मेहमानों के अलावा भारत के कोने-कोने से प्रतिभागी शामिल हुए हैं। ’’
अन्य पुरानी कारें जो मूल रूप से बड़ौदा राज्य से संबंधित थीं, इस प्रदर्शनी का हिस्सा हैं, उनमें वॉल्स्ले ( बड़ौदा 45 ), 1948 की बेंटले मार्क-छह ( बड़ौदा 2 ) और 1937 की रोल्स रॉयस फैंटम-तीन कार भी शामिल हैं।

रोल्स रॉयस फैंटम-तीन कार इस समय दिल्ली के आशीष जैन के पास है।
आशीष जैन ने पीटीआई-से कहा, ‘‘ यह 1937 की कार महारानी की कार है, क्योंकि इसे बड़ौदा की महारानी चिम्नाबाई के लिए विशेष रूप से बनाया गया था, जिन्होंने इसमें व्यक्तिगत रुचि ली थी। कार को भारत भेजे जाने से पहले इंग्लैंड से फ्रांस में एक कोच-बिल्डिंग फर्म को भेजा गया था। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘ इस सुंदर कार को अशोक कुमार अभिनीत हिंदी फिल्म शतरंज (1956) में भी चित्रित किया गया था। मुझे इस कार पर गर्व है। ’’

भव्य लक्ष्मी विलास पैलेस की पृष्ठभूमि में आयोजित उद्घाटन समारोह के दौरान शुभांगिनीराजे गायकवाड़ ने कहा कि वह महल में इतनी पुरानी कारों को देखकर खुश हैं और उन्होंने इसे देश की अनमोल विरासत करार दिया।
उन्होंने कहा, ‘‘यहां तक कि कारें (बड़ौदा परिवार से) जो वर्षों से हमारी आंखों से ओझल थीं, हमारे बागों में वापस आ गई हैं। ’’

राजमाता ने उद्घाटन कार्यक्रम से इतर पीटीआई-से कहा,‘‘ कारों को उनके पुराने स्वरूप में पुनर्स्थापित करना उतना ही महत्वपूर्ण है… इन कारों के पुराने गौरवशाली इतिहास को वापस लाने के लिए प्रयास किए जाने की आवश्यकता है, क्योंकि हमें इस विरासत का सम्मान करना चाहिए।’’
इसका आयोजन ‘‘21 गन सैल्यूट हेरिटेज एंड कल्चरल ट्रस्ट’’ द्वारा पर्यटन मंत्रालय के सहयोग से किया जा रहा है, और यह अतुल्य भारत ब्रांड को बढ़ावा देने के लिए गुजरात पर्यटन द्वारा समर्थित है।

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