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महाराष्ट्र भूस्खलन: एनडीआरएफ ने अभियान बंद किया; 57 लोग अब भी लापता

राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल बल (एनडीआरएफ) ने महाराष्ट्र में रायगढ़ जिले के इरशालवाडी में बुधवार को हुए भूस्खलन के सिलसिले में अपना तलाश एवं बचाव अभियान बंद कर दिया है। महाराष्ट्र के मंत्री उदय सामंत ने रविवार को यह जानकारी दी।
रायगढ़ के प्रभारी मंत्री सामंत ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि जो लोग लापता हैं, उनके परिजन भी मानते हैं कि वे मलबे में दफन हो गये हैं और उन्हें बचाव अभियान बंद करने पर कोई ऐतराज नहीं है।
मंत्री ने कहा कि किसी को भी भूस्खलन स्थल पर भीड़ नहीं लगानी चाहिए, वहां सीआरपीसी की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लगा दी गयी है और लोगों की आवाजाही प्रतिबंधित कर दी गयी है।
सामंत ने कहा कि एनडीआरएफ कर्मियों समेत 1100 से अधिक लोग बचाव एवं राहत कार्य में लगे थे जो चार दिनों तक चला।

उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन, अन्य संबंधित अधिकारियों और स्थानीय लोगों के साथ परामर्श कर बचाव अभियान बंद करने का निर्णय लिया गया है।
उन्होंने कहा, ‘‘ गांव में 228 लोग थे, जिनमें 57 के बारे में कोई जानकारी नहीं है।27 के शव मिले हैं। इस गांव के 43 परिवारों में से दो परिवार पूरी तरह दफन हो गये हैं जबकि 41 परिवारों को एक मंदिर में शरण दी गयी है। शरण पाने वालों में 144 लोग हैं।’’
सामंत ने कहा, ‘‘ मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शहर एवं औद्योगिक विकास निगम को भूस्खलन से प्रभावित लोगों के वास्ते स्थायी मकान बनाने का निर्देश दिया है।’’
अधिकारियों ने बताया कि जिन लोगों के शव निकाले गये हैं, उनमें 12 पुरूष, 10 महिलाएं और चार बच्चे हैं, जबकि एक शव की अबतक शिनाख्त नहीं हो पायी है।


इस सुदूर आदिवासी गांव में 19 जुलाई को रात करीब साढ़े दस बजे हुए भूस्खलन में गांव के 48 में से कम से कम 17 मकान मलबे के नीचे दब गये।
एनडीआरएफ और अन्य एजेंसियों ने इरशालवाडी में शनिवार शाम खराब मौसम के चलते तलाश एवं बचाव अभियान बंद कर दिया था, लेकिन चौथे दिन रविवार को इसे फिर से शुरू किया गया था। यह स्थान मुंबई से करीब 80 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
इस बीच, रविवार को खालापुर तहसील में भूस्खलन स्थल का दौरा करने के बाद केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने कहा कि प्रभावित परिवार को तीन-तीन एकड़ जमीन दी जानी चाहिए।

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