जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने बुधवार को संसद में वक्फ संशोधन विधेयक पेश किए जाने की निंदा करते हुए एक संदेश जारी किया। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित विधेयक असंवैधानिक है और मौलिक अधिकारों का घोर उल्लंघन है। वक्फ विधेयक पेश किए जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए मदनी ने कहा कि यह विधेयक अलोकतांत्रिक है। उन्होंने आगे कहा कि सरकार लोकतांत्रिक सिद्धांतों और उचित प्रक्रिया की अवहेलना करते हुए केवल अपने संख्यात्मक बहुमत के आधार पर इसे पारित करने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि यह दृष्टिकोण बहुसंख्यकवादी मानसिकता को दर्शाता है जो अल्पसंख्यकों के अधिकारों को कमजोर करता है और न्याय और समानता के मूलभूत मूल्यों को खतरे में डालता है।
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इस विधेयक को बलपूर्वक और मनमाने तरीके से पेश किया गया है, जिसका स्पष्ट उद्देश्य अल्पसंख्यकों के अधिकारों को कम करना है। इसका ढांचा और इसके पीछे की मंशा मुस्लिम समुदाय के प्रति गहरे पूर्वाग्रही रवैये को उजागर करती है। मदनी ने कहा कि हालांकि हमने मौजूदा कानून में रचनात्मक सुधारों की लगातार वकालत की है, लेकिन प्रस्तावित संशोधन वास्तविक चिंताओं को संबोधित करने के बजाय मौजूदा चुनौतियों को और बढ़ाएंगे और आगे और जटिलताएं पैदा करेंगे। मदनी ने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय के प्रतिनिधि के रूप में वह इस विधेयक को पूरी तरह से खारिज करते हैं और यह किसी भी रूप में अस्वीकार्य है। इस अन्याय के खिलाफ हमारा संघर्ष सभी कानूनी और शांतिपूर्ण तरीकों से जारी रहेगा और हम अपने अधिकारों पर इस तरह के हमले के सामने चुप नहीं रहेंगे।