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Mamata ने केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ लड़ाई में केजरीवाल को समर्थन का आश्वासन दिया

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को दिल्ली के अपने समकक्ष अरविंद केजरीवाल को आश्वासन दिया कि नौकरशाहों की नियुक्तियों और तबादलों पर नियंत्रण के लिए केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ लड़ाई में तृणमूल कांग्रेस आम आदमी पार्टी का समर्थन करेगी।
दिल्ली में सेवाओं के नियंत्रण को लेकर केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ अपनी लड़ाई को लेकर समर्थन जुटाने के लिए राष्ट्रव्यापी दौरे के तहत पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के संग कोलकाता आए केजरीवाल ने राज्य सचिवालय में बनर्जी के साथ करीब घंटे भर बैठक की।

दिल्ली के मुख्यमंत्री ने पत्रकारों से कहा कि केंद्र द्वारा अध्यादेश को कानून में बदलने के लिए विधेयक पर राज्यसभा में होने वाला आगामी मतदान ‘‘2024 के चुनावों से पहले सेमीफाइनल’’ होगा।
केजरीवाल ने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पश्चिम बंगाल, पंजाब, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश जैसी गैर-भाजपा सरकारों को परेशान करने के लिए राज्यपालों का इस्तेमाल करती है। केजरीवाल ने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा विधायकों की खरीद-फरोख्त के लिए ‘‘विपक्षी दलों की सरकारों को गिराने की कोशिश में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई), प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का इस्तेमाल करती है।
बनर्जी ने पत्रकारों से कहा, ‘‘हम केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ लड़ाई में आम आदमी पार्टी का समर्थन करते हैं। मैं सभी पार्टियों से अनुरोध करती हूं कि भाजपा के कानून (दिल्ली में नियुक्तियों को नियंत्रित करने वाले) के लिए वोट न करें।’’

उन्होंने कहा, ‘‘2024 के लोकसभा चुनावों से पहले राज्यसभा में भाजपा को हराने का यह एक शानदार अवसर है क्योंकि सभी विपक्षी दल अध्यादेश के मुद्दे पर एकजुट हैं।’’
तृणमूल कांग्रेस की नेता ने कहा, ‘‘डबल इंजन, ट्रबल इंजन बन गया है।’’ बनर्जी ने यह भी कहा, ‘‘केवल छह महीने की बात है (कि केंद्र सरकार सत्ता में रहेगी)…लेकिन अगर कोई चमत्कार होता है, तो उन्हें इससे पहले भी जाना पड़ सकता है।’’
केजरीवाल और मान ने बनर्जी से मुलाकात के बाद संवाददाता सम्मेलन में भाजपा और केंद्र सरकार पर हमले किए।

आप नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘भाजपा ने लोकतंत्र का मजाक बना दिया है…जहां वह सरकार नहीं बना सकती है, वहां वह विधायक खरीदती है, सीबीआई, ईडी का इस्तेमाल सरकार को गिराने की कोशिश के लिए करती है…बंगाल और पंजाब जैसी गैर-भाजपा सरकारों को परेशान करने के लिए राज्यपाल का इस्तेमाल करती है।’’
आम आदमी पार्टी (आप) ने पहले ही सभी गैर-भाजपा दलों का समर्थन मांगते हुए कहा है कि यह विपक्षी दलों के लिए ‘‘अग्नि परीक्षा का समय’’ है, और अगर वे देश के लोकतंत्र और संविधान को बचाना चाहते हैं तो उन्हें एक साथ आना चाहिए।

विवाद का मुद्दा राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण की स्थापना के संबंध में केंद्र का अध्यादेश है जिसने उच्चतम न्यायालय के आदेश को उलट दिया है। न्यायालय ने पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था और भूमि से संबंधित सेवाओं को छोड़कर, दिल्ली की निर्वाचित सरकार को सेवाओं का नियंत्रण दिया था।
नए अध्यादेश में दिल्ली सरकार से इन शक्तियों को वापस लेकर उन्हें एक समिति को देने का प्रावधान है जिसे प्रभावी रूप से केंद्र द्वारा नियंत्रित किया जाएगा।
अध्यादेश को बदलने के लिए एक केंद्रीय कानून लाया जाना है और विपक्षी दलों को संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा में चर्चा के लिए विधेयक के आने पर इसे रोकने की उम्मीद है।

अध्यादेश को छह महीने के भीतर संसद द्वारा अनुमोदित किया जाना है। इसके लिए केंद्र को संसद के दोनों सदनों में विधेयक को पारित कराना होगा।
रोचक बात यह है कि ममता-केजरीवाल ने अध्यादेश के खिलाफ एकजुटता बनाने में कांग्रेस का कोई उल्लेख नहीं किया।
कांग्रेस ने अभी तक अध्यादेश पर अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है लेकिन पार्टी के वरिष्ठ नेता अजय माकन ने इस मुद्दे पर केजरीवाल को किसी भी तरह का समर्थन देने के खिलाफ अपनी राय प्रकट की।
इससे पूर्व अध्यादेश के मुद्दे पर केजरीवाल की बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भी मुलाकात हो चुकी है।

कुमार ने इस मामले पर आम आदमी पार्टी को पूरा समर्थन दिया है। आप प्रमुख बुधवार को मुंबई में शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता उद्धव ठाकरे और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) नेता शरद पवार से मुलाकात करेंगे।
कोलकाता के लिए यात्रा शुरू करने से पहले केजरीवाल ने ट्वीट किया था, ‘‘आज से देश भर में निकल रहा हूं। दिल्ली के लोगों के हक के लिए। उच्चतम न्यायालय ने बरसों बाद आदेश पारित करके दिल्ली के लोगों के साथ न्याय किया, उन्हें उनके हक दिये। केंद्र सरकार ने अध्यादेश लाकर वो सारे हक वापस छीन लिये।’’
उन्होंने कहा, ‘‘जब ये विधेयक राज्यसभा में आएगा, तो इसे किसी हालत में पास नहीं होने देना। सभी राजनीतिक दलों के अध्यक्षों से मिलकर उनका साथ मांगूंगा।’’

बहरहाल, भाजपा ने बनर्जी और केजरीवाल की मुलाकात को 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवारों का ‘राजनीतिक पर्यटन’ करार दिया।
भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा, ‘‘2024 के लोकसभा चुनावों से पहले विपक्षी खेमे के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवारों का राजनीतिक पर्यटन शुरू हो गया है। लेकिन जनता के पैसे की कीमत पर किए जा रहे इस राजनीतिक पर्यटन का कोई नतीजा नहीं निकलेगा, क्योंकि 2024 में प्रधानमंत्री पद के लिए कोई पद खाली नहीं है।’’

केजरीवाल-ममता की बैठक पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने कहा, ‘‘आप और टीएमसी कांग्रेस को कमजोर करने और अपनी ताकत बढ़ाने की कोशिश में एक ही नीति का पालन करती हैं। इस प्रकार दोनों दल भाजपा की मदद करते हैं।’’
इस संबंध में टीएमसी की ‘‘विश्वसनीयता’’ पर सवाल उठाते हुए मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की केंद्रीय समिति के सदस्य सुजान चक्रवर्ती ने आरोप लगाया कि टीएमसी ने मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा लाए गए विधेयकों के खिलाफ मतदान करने से परहेज किया।

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