तृणमूल कांग्रेस प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपने राज्य का नाम बदलकर ‘बांग्ला’ करना चाहती हैं। उनका तर्क है कि चूंकि पश्चिम बंगाल वर्णमाला सूची में सबसे नीचे आता है, इसलिए इसके प्रतिनिधियों को केंद्रीय बैठकों के दौरान अंत तक इंतजार करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। अपने नए आह्वान में बनर्जी ने बताया कि अतीत में भी बॉम्बे और उड़ीसा के नाम बदले गए थे और उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार से उनके प्रस्ताव पर विचार करने का आग्रह किया।
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ममता ने कहा कि हमने पहले अपने राज्य का नाम बदलने के लिए विधानसभा में एक विधेयक पारित किया है। हमने उन्हें हर तरह का स्पष्टीकरण दिया है। लेकिन लंबे समय तक उन्होंने हमारे राज्य का नाम बदलकर बांग्ला नहीं किया। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि बॉम्बे का नाम बदलकर मुंबई, उड़ीसा का ओडिशा कर दिया गया…लेकिन हमारा क्यों नहीं बदला जा सकता? हमारी गलती क्या है। नाम बदलने से राज्य को होने वाले फायदों पर प्रकाश डालते हुए ममता ने कहा कि इससे राज्य के बच्चों को प्रतियोगिताओं में जाने पर मदद मिलेगी।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के नाम में ‘वेस्ट’ जोड़ने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि यदि हमारे राज्य का नाम बदलकर बांग्ला कर दिया जाए तो हमारे बच्चे जो विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लेते हैं और पढ़ाई के लिए जाते हैं उन्हें प्राथमिकता मिलेगी। हर बैठक में हमें अंत तक इंतजार करने के लिए मजबूर किया जाता है। W, X, Y, Z। बांग्ला का महत्व कम कर दिया गया है। पंजाब का उदाहरण देते हुए, जो भारत में एक राज्य और पाकिस्तान में एक प्रांत है, उन्होंने कहा, “हमें नहीं लगता कि जब राज्य का नाम बांग्ला है तो इसे विभाजित करने की कोई आवश्यकता नहीं है। पाकिस्तान में पंजाब नाम का एक प्रांत है। भारत में भी पंजाब नाम का एक राज्य है। यदि बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बांग्लादेश रह सकता है, तो पश्चिम बंगाल को बांग्ला में क्यों नहीं बदला जा सकता है।”