पश्चिम बंगाल सरकार ने 25753 टीचर और नॉन टीचिंग स्टाफ की नियुक्ति को अवैध ठहराने के कोलकाता हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। लेकिन इस मामले में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की कथित टिप्पणी उनकी मुश्किलें बढ़ा सकती हैं। दावा किया जा रहा है कि बीरभूमि लोकसभा के अंतर्गत वर्धमान के एक रैली में ममता बनर्जी ने कहा कि बीजेपी ने अदालत खरीद ली है। रिपोर्टों के अनुसार, उच्च न्यायालय को बेच दिया गया जैसी टिप्पणी करने का दावा किया गया है। अदालत को बिका हुआ बताने के आरोप को लेकर सीपीएम नेता विकास रंजन भट्टाचार्य की अपील पर हाई कोर्ट ने मामले को रिकॉर्ड पर ले लिया है।
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ममता बनर्जी के अदालत के बारे में लगातार की जा रही टिप्पणियों पर अधिवक्ता विकास भट्टाचार्य ने कलकत्ता हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस टीएस शिवगणनम की अध्यक्षता वाली खंडपीठ की तरफ ध्यान आकर्षित कराया। उन्होंने अदालत से इस मामले में स्वत: संज्ञान लेने का आग्रह किया। विकास का आरोप है कि कोर्ट पर आपराधिक टिप्पणी की जा रही हैं। अगर कदम नहीं उठाए गए तो हर कोई कोर्ट पर हंसेगा। कोर्ट का अपमान हो रहा है। वकील ने मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए बयानों पर रिपोर्ट के साथ एक हलफनामा शामिल करने का वादा किया।
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बता दें कि पश्चिम बंगाल सरकार ने 25753 टीचर और नॉन टीचिंग स्टाफ की नियुक्ति को अवैध ठहराने के कोलकाता हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। राज्य सरकार का कहना है कि हाई कोर्ट ने मनमाना तरीके से ये नियुक्तियां रद्द की हैं। हाई कोर्ट पूरी चयन प्रक्रिया को रद्द करने के असर को समझने में नाकाम रहा, जिसके परिणामस्वरूप कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से सीधे बर्खास्त कर दिया गया।