पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राष्ट्रीय कवि और नोबेल पुरस्कार से सम्मानित रवींद्रनाथ टैगोर की जयंती पर मंगलवार को यहां एक भाषण में, हिंदू-मुस्लिम एकता को बढ़ावा देने के लिए रक्षा बंधन के उनके उपयोग और उनकी धर्मनिरपेक्ष दृष्टि की चर्चा की।
विश्लेषकों ने इसे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर परोक्ष हमले के तौर पर देखा। शाह भाजपा समर्थित एक सांस्कृतिक एनजीओ (गैर-सरकारी संगठन) द्वारा आयोजित एक समारोह में कवि को श्रद्धांजलि देने के लिए कोलकाता आए हैं।
तृणमूल कांग्रेस लंबे समय से भाजपा और उसके नेतृत्व पर धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों के खिलाफ एक राजनीतिक विचारधारा को बढ़ावा देने का आरोप लगाती रही है।
ममता ने कहा, सम्मानित कवि को परिभाषित करने की योग्यता शायद ही हमारे पास है… वह हमारी आत्मा में हैं, वह स्वतंत्रता आंदोलन के कवि हैं, ऐसे कवि जो सांप्रदायिक कटुता के खिलाफ खड़ा रहे, जो रक्षा बंधन के लिए खड़े थे (1905 में बंगाल विभाजन के ब्रिटिश कदम के खिलाफ संघर्ष के दौरान टैगोर ने मुस्लिम नेताओं की कलाई पर राखी बांधी थी ताकि उन्हें हिंदुओं के साथ एकजुट किया जा सके)।’’
मुख्यमंत्री ने कहा कि चुनाव को ध्यान में रखकर कई चर्चा की जा रही है जैसे टैगोर का जन्म शांतिनिकेतन में हुआ था।’’
उन्होंने कहा, हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि चुनाव के लिए हम पांच रुपये खर्च कर किसी को खरीद सकते हैं या गलती से कह सकते हैं कि रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म शांतिनिकेतन में हुआ था।
इस बीच, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के वरिष्ठ नेता मोहम्मद सलीम ने आरोप लगाया कि तृणमूल और भाजपा दोनों ही टैगोर का राजनीतिक रूप से इस्तेमाल करने की कोशिश कर रही हैं।
सलीम ने संवाददाताओं से कहा, आज जो लोग धर्म के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं, वे लोग अपनी विभाजनकारी राजनीति के लिए टैगोर का इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहे हैं। टैगोर इन सबके खिलाफ थे। न तो भाजपा और न ही तृणमूल की विचारधारा टैगोर से मिलती है।