पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबाने की कोशिश और नफरत भड़काने का आरोप लगाते हुए सोमवार को कहा कि लोकतंत्र को बचाने के लिए आवाज़ उठाने की जरूरत है।
मुख्यमंत्री ने यहां सॉल्ट लेक में 46वें अंतरराष्ट्रीय कोलकाता पुस्तक मेले के उद्घाटन के बाद कहा कि उन्हें देश में “कुछ लोगों को नकारात्मकता फैलाने की कोशिश करते हुए” देखकर दुख होता है। उन्होंने शांति और एकजुटता की अपील की।
उन्होंने कहा, “ बंगाल और इसके अहम कार्यक्रम जैसे वार्षिक पुस्तक मेला युद्ध और आक्रामकता की तेज़ आवाज़ों के बीच विविधता और शांति के मध्य एकता का जश्न मनाते हैं।”
पुस्तक मेला यहां सेंट्रल पार्क मेला ग्राउंड में 31 जनवरी से 12 फरवरी तक आयोजित होगा] जिसमें दुनिया भर के प्रकाशक एवं लेखक शिरकत करेंगे। इस साल स्पेन ‘थीम देश’ है।
बनर्जी ने किसी का भी नाम लिए बिना कहा, “ मैं नफरत वमन की संस्कृति की निंदा करती हूं। इसके बावजूद, कोई अपने विचार पेश करने की कोशिश करता है, तो मैं उसके खिलाफ नहीं हूं, लेकिन कृपया विनम्र रहें।”
उन्होंने कहा, “ हमें इंसानियत के बारे में सोचना चाहिए… लोगों के मौलिक अधिकारों के बारे में।”
बनर्जी ने रबींद्रनाथ टैगोर की कविता की इन पंक्तियों ‘जहां मन भयमुक्त हो और सिर ऊंचा हो का उद्धरण करते हुए कहा कि बंगाल ने हमेशा नोबेल पुरस्कार से सम्मानित लेखक के शब्दों को साकार करने की कोशिश की है।
उन्होंने कहा, “ अगर जरूरत पड़े तो हमें लोकतंत्र को बचाने के लिए अपनी आवाज़ जरूर उठानी चाहिए। हमें हमारे मूल इतिहास को विकृत करने की हर कोशिश के प्रति सजग होना चाहिए। आइए हम सब एकजुट हों। हम शांति और समृद्धि चाहते हैं। हम गरीबी के खिलाफ लड़ना चाहते हैं।