इंफाल। मणिपुर में एक कुकी-मेइती दंपति के सात वर्षीय बच्चे को उसकी मां और चाची के साथ जिंदा जला दिए जाने की घटना समेत 20 मामले जांच के लिए पुलिस ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दिए हैं। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
सीबीआई ने तीन मई से राज्य में हुई जातीय झड़पों की जांच शुरू कर दी है। अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पतर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किए जाने के बाद कुकी और मेइती लोगों के बीच झड़पें शुरू हुई।
हिंसा में अब तक 160 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं और सैकड़ों लोग घायल हुए हैं।
चार जून को पश्चिम इंफाल जिले के इरोइसेम्बा में भीड़ ने पुलिस की निगरानी में रही एक एम्बुलेंस पर हमला कर दिया और उसमें आग लगा दी, जिससे टोनसिंग हैंगसिंग नामक बच्चे की मौत हो गई।
गोलीबारी की एक घटना के दौरान टोनसिंग के सिर में गोली लगने के बाद उसकी मां मीना हैंगसिंग और चाची लिडिया लौरेम्बम उसे मणिपुर की राजधानी के एक अस्पताल में ले जा रही थीं। लड़के की मां मेइती समुदाय से थी जबकि उसके पिता कुकी हैं।
सीबीआई के अधिकारियों को दो प्राथमिकी सौंपी गई हैं। इनमें एक लाम्फेल थाने में पुलिस द्वारा दर्ज की गई और दूसरी प्राथमिकी लड़के के पिता जोशुआ हैंगसिंग द्वारा कांगपोकपी थाने में दायर कराई गई थी।
लाम्फेल थाने में मामला हत्या से संबंधित धाराओं के तहत दर्ज किया गया, जबकि कांगपोकपी में मामला गैर इरादतन हत्या के प्रयास के तहत दर्ज किया गया।
अधिकारियों ने कहा कि जब भीड़ ने उन पर हमला किया तो टोनसिंग, उसकी मां और चाची (दोनों मेइती ईसाई), एक ड्राइवर और एक नर्स के साथ एम्बुलेंस में थे। ड्राइवर और नर्स को भाग जाने दिया गया जबकि पुलिस कर्मियों को पीछे हटना पड़ा जिन्होंने हवा में गोलियां चलाईं।
अधिकारियों ने कहा कि भीड़ ने लड़के की मां और चाची द्वारा उन्हें जाने देने की बार-बार की गई अपील को अनसुना कर दिया और एम्बुलेंस को आग लगा दी। तीनों एम्बुलेंस के भीतर थे।
उन्होंने बताया कि टोनसिंग गोली लगने के कारण घायल हो गया था तथा कई अन्य लोगों की तरह एक राहत शिविर में रह रहा था।
शिविर पर राज्य के ‘‘बहुसंख्यक समुदाय’’ के हथियारबंद लोगों के एक समूह ने हमला किया था।
अधिकारियों ने कहा कि घटना के बाद, सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने तुरंत इंफाल के पुलिस अधीक्षक से संपर्क किया और रास्ते में सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा ताकि लड़के को अस्पताल ले जाया जा सके। उन्होंने कहा कि यह निर्णय लिया गया कि केवल उसकी मां और चाची ही उसके साथ यात्रा करेंगी क्योंकि वे ‘‘बहुसंख्यक समुदाय’’ से थीं।
अधिकारियों ने कहा कि सेना ने उन्हें इंफाल की सीमा पर पुलिस एस्कॉर्ट और एम्बुलेंस को सौंप दिया, लेकिन काफिले पर लगभग 2,000 लोगों की भीड़ ने हमला कर दिया।
कांगपोकपी थाने में अपनी शिकायत में, जोशुआ ने कहा कि चार जून को, मेइती लीपुन, अरामबाई तेंगगोल और कांगलेइपाक कनबा लुप समूहों की मेइती भीड़ ने इरोइसेम्बा के पास एम्बुलेंस को रोक दिया और उसमें आग लगा दी।
लाम्फेल थाने के अपने मामले में, पुलिस ने घटनास्थल पर इंफाल पश्चिम के पुलिस अधीक्षक की मौजूदगी को स्वीकार किया और उल्लेख किया कि उन्होंने पुरुषों और महिलाओं की भीड़ को तितर-बितर करने के लिए हवा में गोलियां चलाईं। पुलिस ने कहा कि लेकिन मरीज और अन्य दो लोगों को भीड़ ने मार डाला और बाद में इरोइसेम्बा में एम्बुलेंस में आग लगा दी।
सीबीआई को सौंपे गए 20 मामलों में से एक मेइती महिला का भी मामला है, जिसने दावा किया था कि तीन मई को अज्ञात आदिवासी कुकी नेताओं ने उससे बलात्कार किया था।
अधिकारियों ने कहा कि यह एक जटिल मामला है क्योंकि जिस गांव में उसने बलात्कार किए जाने का दावा किया, वहां के अधिकारियों ने आरोपों से इनकार किया है और एक बयान जारी किया है।
महिला ने दावा किया था कि तीन मई को चुराचांदपुर जिले के खुमुजाम्बा के पास उसका यौन उत्पीड़न किया गया था और बिष्णुपुर थाने में एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
हालांकि, गांव के अधिकारियों ने एक बयान जारी कर उसके दावे को खारिज कर दिया और कहा कि वह एक समय अपने परिवार के साथ चुराचांदपुर जिले के नगाथल गांव में रहती थी, लेकिन पांच साल पहले उसने अपने पति के साथ यह क्षेत्र छोड़ दिया था क्योंकि उस पर भारी कर्ज हो गया था। बयान में कहा गया है कि तब से परिवार गांव नहीं लौटा।