मणिपुर में मेइती समुदाय की महिलाओं के समूह ‘मीरा पैबिस’ ने सोमवार को इंफाल घाटी में असम राइफल्स के खिलाफ प्रदर्शन किया।
उन्होंने हिंसा प्रभावित क्षेत्रों से असम राइफल्स के कर्मियों को हटाने की मांग की और अर्द्धसैन्य बल पर ‘‘हाल के आंदोलन के दौरान क्रूरता’’ का आरोप लगाते हुए विभिन्न इलाकों में सड़कें अवरुद्ध करके प्रदर्शन किया।
‘मीरा पैबिस’ का शाब्दिक अर्थ ‘मशाल वाहक महिलाएं’ होता है। समूह ने रविवार को इंफाल वेस्ट जिले के मलोम तुलीहाल इलाके में हुई एक बैठक में विरोध प्रदर्शन करने का फैसला किया।
इंफाल वेस्ट जिले के होदाम लीराक इलाके में दर्जनों महिलाएं सड़कों पर उतर आईं और बिष्णुपुर तथा चुराचांदपुर जिलों की ओर जाने वाली टिडिम रोड के एक मार्ग को अवरुद्ध कर दिया। उन्होंने इंफाल वेस्ट जिले के क्वाकीथेल, उरीपोक और सिंगजामेई क्षेत्रों और इंफाल ईस्ट जिले के अंगोम लीकाई और खुरई क्षेत्रों में भी प्रदर्शन किया।
थौबल और बिष्णुपुर जिलों में भी इसी तरह के विरोध प्रदर्शन हुए। होदाम लीराक में एक प्रदर्शनकारी एल मेमा ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘असम राइफल्स द्वारा महिलाओं सहित लोगों पर लगातार क्रूर कार्रवाई के कारण हमारा विरोध प्रदर्शन जरूरी हो गया। ऐसे सबूत सामने आए हैं कि असम राइफल्स भेदभाव कर रहा है और अपने कर्तव्यों का जिम्मेदारी और ईमानदारी से निर्वहन करने के बजाय मेइती लोगों को निशाना बना रहा है।’’
इस बीच, इंफाल ईस्ट और वेस्ट जिलों में सोमवार सुबह पांच बजे से दोपहर तक कर्फ्यू में ढील दी गई। इस संबंध में संबंधित जिलाधिकारियों के कार्यालय द्वारा अलग-अलग बयान जारी किए गए।
अधिसूचना में कहा गया है, ‘‘आम जनता को दवाओं और खाद्य पदार्थों सहित आवश्यक वस्तुओं की खरीद की सुविधा प्रदान करने के लिए सात अगस्त को सुबह पांच बजे से दोपहर तक अपने निवास स्थान से आवाजाही पर प्रतिबंध हटा दिया गया है।’’
बिष्णुपुर जिले में पिता-पुत्र सहित तीन लोगों की सोते समय हत्या कर दिए जाने और बाद में उनके शवों को उग्रवादियों द्वारा तलवार से काट दिए जाने के बाद कर्फ्यू लगा दिया गया था। शनिवार को कर्फ्यू में ढील को घटाकर सुबह पांच बजे से पूर्वाह्न साढ़े 10 बजे तक कर दिया गया।
घटना से पहले इंफाल ईस्ट और वेस्ट दोनों जिलों में कर्फ्यू में छूट की अवधि सुबह पांच बजे से शाम छह बजे तक थी। रविवार को कर्फ्यू में कोई ढील नहीं दी गई।
मणिपुर में तीन मई को कुकी और मेइती समुदायों के बीच शुरू जातीय हिंसा अभी भी जारी है और इसमें 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।