मणिपुर में हिंसा का दौर लगातार जारी है। उपद्रवियों ने आज इंफाल घाटी में कई घरों में आगजनी की। अधिकारियों ने बताया कि सुरक्षाबलों और उपद्रवियों के बीच झड़प के बाद मणिपुर के इंफाल शहर में आंसू गैस के गोले छोड़े गए। सेना और असम राइफल्स की इकाइयों ने विभिन्न स्थानों पर लगाए गए अवरोधों को हटाते हुए गश्त गतिविधियों में वृद्धि की है। भारतीय सेना के एक ट्वीट में कहा गया है, “हिंसा में हालिया उछाल के बाद सेना और असम राइफल्स द्वारा बढ़ाया क्षेत्र प्रभुत्व अभियान चलाया जा रहा है।”
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हालांकि, स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है, हिंसा को शांत करने और शांतिपूर्ण वातावरण स्थापित करने के प्रयास चल रहे हैं। इस बीच, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि हिंसा प्रभावित मणिपुर में स्थिति चिंताजनक है और उन्होंने भाजपा नीत केंद्र की आलोचना करते हुए कहा कि वह लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कदम नहीं उठा रही है। इससे पहले इंफाल पश्चिम जिले के लाम्फेल इलाके में बुधवार रात अज्ञात लोगों ने मणिपुर की महिला मंत्री नेमचा किपजेन के आधिकारिक आवास में आग लगा दी।
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गौरतलब है कि मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में आदिवासी एकजुटता मार्च के आयोजन के बाद झड़पें हुई थीं। मणिपुर की 53 प्रतिशत आबादी मेइती समुदाय की है और ये मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं। आदिवासियों- नगा और कुकी की आबादी 40 प्रतिशत है और ये पर्वतीय जिलों में रहते हैं। मेइती और कुकी समुदाय के लोगों के बीच हुई जातीय हिंसा में 100 से अधिक लोगों की जान चली गई थी और 310 अन्य घायल हो गए थे। राज्य में शांति बहाल करने के लिए सेना और अर्धसैनिक बलों के जवानों को तैनात किया गया है।