मणिपुर में भड़की हिंसा की वजह से अब तक 60 लोगों की जान जा चुकी है। इसके अलावा कई घायल बताए जा रहे हैं। मणिपुर में अब जनजीवन सामान्य होता दिखाई दे रहा है। लेकिन 3 मई और 4 मई को वहां स्थिति काफी गंभीर बनी हुई थी। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह लगातार मणिपुर घटना को लेकर निगरानी कर रहे थे। धीरे-धीरे वहां कर्फ्यू में ढील दी जा रही है। साथ ही साथ हिंसा प्रभावित लोगों की हर संभव मदद की कोशिश की जा रही है। इन सबके बीच मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने आज बड़ी बात कही है। उन्होंने कहा कि हिंसा भड़काने वाले व्यक्ति व समूह का पता लगाने के लिए जल्द से जल्द एक उच्च स्तरीय जांच की जाएगी।
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एन बीरेन सिंह ने बताया कि 3 मई की दुर्भाग्यपूर्ण घटना में लगभग 60 निर्दोष लोगों की जान चली गई, 231 लोगों को चोटें आईं और लगभग 1700 घर जल गए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मैं लोगों से राज्य में शांति की अपील करता हूं। उन्होंने दावा किया कि फंसे हुए लोगों को उनके संबंधित स्थानों तक पहुंचाने का काम शुरू हो गया है। उन्होंने कहा कि मणिपुर में विभिन्न स्थानों पर फंसे सभी व्यक्तियों को सुरक्षित स्थानों और आश्रय शिविरों में सर्वोत्तम संभव देखभाल और सहायता प्रदान की जा रही है। उन्होंने कहा कि हिंसा भड़काने वाले व्यक्तियों/समूहों और अपनी जिम्मेदारियों को पूरा नहीं करने वाले सरकारी सेवकों पर जिम्मेदारी तय करने के लिए एक उच्च स्तरीय जांच की जाएगी।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं सभी से अपील करता हूं कि वे निराधार और निराधार अफवाहें न फैलाएं और न ही उन पर विश्वास करें। अब तक, 1593 छात्रों सहित 35,655 लोग सुरक्षित स्थानों पर चले गए। उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को केंद्र और मणिपुर सरकार को पूर्वोत्तर के इस राज्य में जातीय हिंसा से प्रभावित हुए लोगों की सुरक्षा बढ़ाने, उन्हें राहत सहायता मुहैया कराने तथा उनके पुनर्वास के लिए आवश्यक कदम उठाने को कहा। न्यायालय का यह निर्देश इन दलीलों पर संज्ञान लेने के बाद आया कि बीते दो दिनों में वहां कोई अप्रिय घटना नहीं हुई है।