प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की ‘मन की बात’ ने वैश्विक कीर्तिमान स्थापित किया है। विविध विषयों पर प्रति सप्ताह राष्ट्र का प्रमुख कार्यकारी ‘सेवक’ सवा अरब जनता से साक्षात्कार करते हैं। सम्पूर्ण विश्व में ऐसा एक भी कार्यक्रम नहीं है जिसके द्वारा उस देश के प्रमुख नेता अपने नागरिकों के सुख दुःख, विजय और वेदना, उपलब्धियों और नवीन योजनाओं के बारे में विचार सांझा करते हों। इसमें उत्तर पूर्वांचल के सुदूरवर्ती गाँवों के जनजातीय युवाओं के खेल में योगदान और मातृभूमि की रक्षा हेतु उत्सर्ग के उदाहरण, कर्नाटक के अनाम अजान क्षेत्रों में सामाजिक परिवर्तन लाने वाली महिलाओं की अद्भुत कथाएं, उत्तराखंड के हिमालयी पर्वतीय क्षेत्रों में श्री अन्न (मोटे अनाज) को लोकप्रिय बनाने वाले महिला स्वयं सहायता समूहों की प्रेरक कथा, कश्मीर से लेकर Ladakh और अंडमान तक, और तवांग से लेकर जैसलमेर तक बिखरे इस महान भारतीय समाज के विविध रंगों का परिचय स्वयं श्री नरेंद्र मोदी के स्वर में मिलता है। यह प्रक्रिया और साप्ताहिक संवाद अभूतपूर्व और असाधारण ही नहीं, देश के प्रधान मंत्री के साथ सामान्य से सामान्य जन का आत्मीय सम्बन्ध जोड़ने वाला एक ऐसा अनुष्ठान बन गया है जो राष्ट्रीय एकता और राष्ट्रीय अपनेपन का प्रतीक है।
कोई तो है जो हमें सुनता है, कोई तो है जो हमारी उपलब्धियों को राष्ट्रीय स्वर और अंतरराष्ट्रीय मंच देता है , कोई तो है जो हमें पहचानता है- यह बाते सामान्य नहीं हैं। तेईस भाषाओं, उन्तीस बोलियों, ग्यारह विदेशी भाषाओँ में 501 आकाशवाणी केंद्रों एवं दूरदर्शन से प्रसारित मन की बात का व्याप और प्रभाव हिमालयीन ऊंचाइयों और महासागरीय गहराइयों को छूता है। जो भी एक बार मन की बात के किसी संस्करण में प्रधानमंत्री के साथ बात कर गया या प्रधानममंत्री ने उनका उल्लेख कर दिया वह स्वयं को अमर हो गया मानता है। सम्पूर्ण देश में उसकी चर्चा होती है, उसके अपने क्षेत्र में उसका दबदबा बढ़ जाता है, जिस किसी विशेष कार्य में लगे होने के कारणउसको मन की बात में प्रतिष्ठाजनक स्थान मिला, उस कार्य की सफलता असंदिग्ध हो जाती है, राष्ट्रीय सम्पदा , मेधा और निर्माण में उसके योगदान का महत्त्व और व्याप बढ़ जाता है। यह सब केवल मन की बात के एक संस्करण का प्रभाव होता है। दिल्ली के लैब सहायक प्रकाश कांडपाल, रायपुर की बहन भावना, विजयवाड़ा के प्रोफेसर प्रकाश पदकाण्डला, में एक सामान्य धागा क्या है? यही कि वे अपनी सामान्य उपलब्धियों के कारण प्रधानमंत्री मोदी की मन की बात में शामिल किये गए और विश्वप्रसिद्ध हो गए। उनके कार्यों को बल मिला। उनका मनोबल बढ़ा। देश में अच्छे कार्यों के महत्त्व की प्रतिष्ठा हुई।
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कोरोना के समयअसंख्य लोगों ने प्राण हथेली पर रख कर कार्य किया। उनको किसने शाबाशी दी? प्रधानमंत्री मोदी ने जब एक अति सामान्य लैब सहायक प्रकाश कांडपाल से उन्होंने मन की बात के अंतर्गत पूछा – आप कबसे यह कार्य कर रहे हैं और इसमें आपका क्या अनुभव रहा? कांडपाल का उत्तर था- (जो बड़े बड़े प्रवचनकारी मौलानाओं पादरियों और पग्रंथियों को भी पीछे छोड़ता है)- सर मैं लैब सहायक का काम पिछले 22 वर्षों से कर रहा हूँ, मुझे इस कार्य का अनुभव है। कोरोना के समय मैंने इसी अनुभव का लाभ जनता तक पहुँचाया, मेरा जीवन धन्य हो गया।
चंडीगढ के संजीव राणा की बेटी रिद्धिमा और भतीजी रिया ने सुझाव दिया क्यों न पापा साइकिल पर छोले भठूरे बेचते हुए उन लोगों को फ्री भटूरा खिलाएं जिन्होंने वैक्सीन लगवा ली है? आईडिया कामयाब हुआ और प्रधानमंत्री ने इसे मन की बात में प्रसारित किया। हम शनैः शनैः अपनी सभ्यता और संतों के प्रत्ति तिरस्कार का भाव रखते दिखाई देते हैं। अंग्रेजी शिक्षा और स्कूलों से देश की सांस्कृतिक धरोहर के पाठ्यक्रमों के गायब होने का यह दुखद परिणाम है। मन की बात के माध्यम से प्रधानमंत्री विश्वकर्मा दिवस, स्वामी विवेकानंद, स्वामी रामानंदाचार्य, थिरूवल्लुवर, आदि के बारे में ही नहीं बताते बल्कि महिलाओं के समाज निर्माण में अत्यंत महत्वपूर्ब योगदान को भी रेखांकित करते हैं।
केरल में कोच्ची स्थित संत टेरेसा विद्यालय के छात्रों ने री उजेबल यानि पुनः इस्तेमाल किये जा सकने वाले खिलौने बनाये तो उसको राष्ट्र व्यापी प्रसिद्धि मन की बात के माध्यम से मिली। आयुष्मान भारत योजना के लाभों को लेकर प्रधानमंत्री ने जन जन के पास सामान्य उपयोगी जानकारी पहुंचाई। त्रिपुरा के विक्रमजीत चकमा तथा उत्तरप्रदेश में लखीमपुर खीरी के महिला उद्यमी समूह द्वारा केले के व्यर्थ फेंके जाने वाले तने को लेकर फाइबर के उत्पादन बनाये गए तो उनके बारे में मोदी जी ने अपनी मन की बात में बहुत भावपूर्ण उल्लेख किया।
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बहुत कम लोगों को जानकारी होगी कि श्री कृष्ण ने अरुणाचल प्रदेश के भीष्मक नगर की निवासी रुक्मिणी के साथ विवाह किया था, यह विवाह समारोह पोरबंदर के माधवपुर गाँव में संपन्न हुआ था। अरुणाचल के इदु मिश्मी जनजाति के लोग आज भी स्वयं को श्री कृष्ण और रुक्मिणी से जोड़ते हैं। यह कथा राष्ट्रीय एकता और अखंडता हेतु अत्यंत महत्वपूर्ण है, इस प्रसंग को प्रधानमंत्री श्री मोदी ने न केवल मन की बात के माध्यम से पुनः जीवित किया बल्कि अरुणाचल के युवाओं का दल गुजरात भेजकर एक नवीन एकता पर्व प्रारम्भ किया। मन की बात का सौंवा पर्व वास्तव में भारत माता की अभ्यर्थना में गगन में जगे सौ इंद्रधनुषों के समान हैं। प्रधानमंत्री मोदी कुछ समय अपने देशवासियों से बातचीत का निकालते हैं उसके माध्यम से हज़ारों लोगों को नवीन दिशा और आत्मविश्वास मिलता है, करोड़ो लोगो के मन में नवीन पहल करने, नवीन क्षेत्रों में अपने दम पर कुछ कर दिखाने का सपना जगता है। नवीन भारत की परिवर्तनकारी अमृतवेला को प्रणाम करता स्वर तीर्थ बना गया है मन की बात कार्यक्रम।