कई वर्षों के बाद आए महाकुंभ मेला सिर्फ एक धार्मिक आयोजन ही नहीं है। महाकुंभ मेला भारत की सनातनी परंपराओं का सबसे बड़ा संगम है। महाकुंभ मेले में सिर्फ आस्था लिए हुए श्रद्धालु ही नहीं आते हैं बल्कि संन्यासियों, नागा बाबा, संतों का जमावड़ा भी कुंभ मेले में लगता है। महाकुंभ के दौरान संगम के तट पर ऐसी दुनिया देखने को मिलती है जो वास्तव में हमने महसूस ना की हो। महाकुंभ में इस वर्ष कई बाबाओं ने शिरकत की है जो अपनी अनूठी जीवनशैली तो कोई अपनी तपस्या के कारण लोगों का ध्यान खींच रहा है।
बांसुरी बाबा ने खींचा ध्यान
इस महाकुंभ में पंजाब के पटियाला से आए ईश्वर बाबा सबका ध्यान खींच रहे है। महाकुंभ में उनकी अनोखी कला के कारण लोग आकर्षित हुए है। उनकी कला इतनी अनोखी है कि वो एक साथ दो दो बांसुरी बजा सकते हैं, जबकि कई लोग एक बांसुरी बजाने में भी सफल नहीं हो पाते है। उनकी खासियत है कि वो नाक से भी बांसुरी बजाना जानते है। ईश्वर बाबा मूल रूप से जूना अखाड़े से जुड़े हुए है। उनकी प्रसिद्धि इतनी बढ़ चुकी है कि उन्हें लोग बांसुरी बाबा कहते है। उनके साथ फोटो खिंचवाने के लिए लंबी कतार में लोग लगे दिखते है।
सनातन का कर रहे वर्षों से प्रचार
राजस्थान के हल्दीघाटी से आए शबदजाल भट्टारक बीते 56 वर्षों से सनातन धर्म के प्रचार में जुटे हुए है। मूल रूप से वो देश भर में घूमकर लोगों को एकजुट करते है। उनका मूल काम वैदिक संविधान लिखना है, जिसे वो प्रधानमंत्री नरेंन्द्र मोदी को सौंपेंगे। उनका कहना है कि सिर्फ 48 साधक ही है दुनिया में जो उनकी तरह साधना में जुटे हुए है।
मारुति बाबा चाय के साथ देते हैं आशीर्वाद
मध्यप्रदेश के भिंड से आए एक बाबा को मारुति बाबा कहकर लोग बुलाते है। उनका नाम मारुति कार के कारण ही मारुति पड़ा है, जिससे उन्होंने पूरे देश में भ्रमण किया है। वो अपने पास आने वाले भक्तों को आयुर्वेदिक चाय देते है, जो भक्तों के लिए प्रसाद का ही स्वरुप है। उनका दावा है कि इस चाय का सेवन करने से बीपी, शुगर जैसी बीमारियां ठीक होती है।