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Himachal Pradesh में मानसून ने बरपाया कहर, कई मरे, कई घर ढहे, CM ने दोष बिहारी मजदूरों पर मढ़ा, विवाद बढ़ा तो सफाई दी

पहाड़ पर टूटा है पहाड़ जैसा कहर। हिमाचल प्रदेश में बारिश के कारण पिछले तीन दिनों में 71 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है और कई लोग अभी भी लापता हैं। कई मकान गिर गये हैं, कई सड़कें डूब चुकी हैं और कई जिलों में बुनियादी ढांचा तहस नहस हो चुका है। इससे सवाल खड़ा होता है कि पहाड़ की इस बर्बादी का दोष क्या सिर्फ मानसून को ही दिया जाये या फिर अवैध निर्माणों और नियमों को ताक पर रखकर तथा प्रकृति को नुकसान पहुँचा कर किये गये निर्माणों को दिया जाये? जाहिर है इस बर्बादी की जिम्मेदारी कोई खुद तो लेगा नहीं इसलिए इसे दूसरों पर डाला जायेगा। इसकी शुरुआत हो भी चुकी है। मुख्यमंत्री ने बड़ी सफाई से सारा दोष बिहार के उन मजदूरों पर मढ़ दिया है जो यहां निर्माण कार्य में अपना पसीना बहाते हैं। हालांकि अब जब विवाद खड़ा हुआ है तो उन्होंने सफाई भी पेश कर दी है।
दूसरी ओर, हिमाचल के अन्य जिलों और दूरदराज में तो मानसूनी आफत से बर्बादी हुई ही है साथ ही राजधानी शिमला पर जिस तरह कुदरत ने कहर ढहाया है वह भी हैरान कर देने वाला है। आपकी भी शिमला से जुड़ी यादें होंगी। शिमला की खूबसूरती से जुड़े कई वीडियो आपने भी बनाये होंगे या शेयर किये होंगे लेकिन अब जो शिमला का हाल है वह काफी दुखी करने वाला है।

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हिमाचल का हुआ बुरा हाल
हिमाचल में आपदा की बात करें तो शिमला में समर हिल के समीप शिव मंदिर के मलबे से एक और महिला का शव बरामद होने के साथ ही बारिश से जुड़ी घटनाओं में जान गंवाने वाले 57 लोगों के शव अब तक बरामद हो चुके हैं। अधिकारियों ने बताया कि भूस्खलन और बाढ़ के कारण ढही इमारतों के मलबे से बुधवार को और शव निकाले जाने के बाद मरने वालों की संख्या बढ़ गई है। हम आपको बता दें कि हिमाचल प्रदेश में रविवार से हो रही भारी बारिश के कारण शिमला के समर हिल, कृष्णा नगर और फागली इलाकों में भूस्खलन हुए थे। कृष्णा नगर में कई मकानों को खाली कराया गया और परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया। इसके अलावा कई अन्य लोगों ने मूसलाधार बारिश के कारण भूस्खलन की आशंका से खुद अपने घर खाली कर दिए। शिक्षा विभाग ने खराब मौसम के कारण राज्य में सभी स्कूल तथा कॉलेज बंद रखने का आदेश दिया और हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय ने 19 अगस्त तक शैक्षणिक गतिविधियां निलंबित कर दी हैं। अधिकारियों ने बताया कि राज्य में करीब 800 सड़कें अवरुद्ध हैं और 24 जून को मानसून शुरू होने के बाद से अब तक 7,200 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हो चुका है। हम आपको याद दिला दें कि इससे पहले, जुलाई में मंडी, कुल्लू तथा शिमला समेत राज्य के कई हिस्सों में भारी बारिश से कई लोगों की मौत हो गयी थी और करोड़ों रुपये की संपत्ति नष्ट हो गई थी। उधर, उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने केंद्र सरकार से हिमाचल प्रदेश में राष्ट्रीय आपदा की घोषणा करने तथा राहत एवं क्षतिग्रस्त ढांचों की मरम्मत के काम के लिए 2,000 करोड़ रुपये की निधि जारी करने का अनुरोध किया है।
इस बीच, मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बुनियादी ढांचे के पुनर्निर्माण के काम को ‘पहाड़ जैसी चुनौती’ करार दिया है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बताया कि उनके राज्य को इस मानसून में भारी बारिश के कारण बर्बाद हुए बुनियादी ढांचे के पुनर्निर्माण में एक साल लगेगा। उन्होंने दावा किया कि लगभग 10,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा, ‘‘यह एक बड़ी चुनौती है, एक पहाड़ जैसी चुनौती।’’ इसके अलावा, मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खु के बयान पर विवाद हुआ तो उन्होंने सफाई देते हुए कहा है कि मैंने “बिहारी आर्किटेक्ट्स” जैसा कुछ नहीं कहा। उन्होंने कहा कि यहां बिहार के लोग भी फंसे हुए थे। मैंने उन्हें हेलीकॉप्टरों से निकलवाया। बिहार के करीब 200 लोग अभी भी यहां फंसे हुए हैं। वे हमारे भाई जैसे हैं। यह हमारी स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग की गलती है, वे तो सिर्फ मजदूर हैं।

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