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बंगाल हिंसा से कई सवाल खड़े हुए हैं जिनके जवाब राज्य सरकार को देने चाहिए?

पश्चिम बंगाल में रामनवमी पर हुई हिंसा को लेकर राज्य में सत्तारुढ़ तृणमूल कांग्रेस और मुख्य विपक्षी भाजपा के बीच आरोप प्रत्यारोप जारी हैं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का कहना है कि यह भाजपा की साजिश है तो वहीं भाजपा का कहना है कि यह हिंसा तुष्टिकरण की राजनीति का नतीजा है। लेकिन इस पूरे राजनीतिक शोर के बीच हिंसा पीड़ितों की सिसकियों की आवाज दब कर रह गयी है। बंगाल पर आज पूरे देश की नजर है क्योंकि आरोप है कि वहां कट्टरपंथी हावी हो रहे हैं, यही नहीं एक केंद्रीय मंत्री ने तो आरोप लगाया है कि राज्य को इस्लामी स्टेट बनाया जा रहा है।
इन आरोपों और प्रत्यारोपों के बीच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आरोप लगाया है कि भाजपा के लोग जानबूझकर राज्य के अल्पसंख्यक इलाकों में बिना अनुमति के रैलियां निकाल रहे हैं। ममता बनर्जी ने ठाकुरनगर मैदान में एक सार्वजनिक वितरण कार्यक्रम में कहा, ‘‘रामनवमी का जुलूस पांच दिनों तक क्यों निकाला जाएगा? आप ऐसी रैलियां उस दिन निकाल सकते हैं जिस दिन यह मनाया जाता है। हमें कोई आपत्ति नहीं होगी…. लेकिन अपने साथ हथियार लेकर न जाएं।’’ उन्होंने दावा किया, ‘‘’वे (भाजपा) बिना अनुमति के ऐसे जुलूसों के साथ जानबूझकर अल्पसंख्यक इलाकों में प्रवेश कर रहे हैं। रिषड़ा में भी उन लोगों ने रैली निकाली जिसमें लोग हथियार लिये हुए थे।’’ 

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यहाँ सवाल उठता है कि आखिर कोई क्षेत्र अल्पसंख्यक या मुस्लिम इलाका कैसे हो सकता है? भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और सारा इलाका भारतीय है। धर्म के आधार पर यदि हम क्षेत्रों का वर्गीकरण करेंगे तो यह देश और समाज के हित में सही नहीं होगा। इसके अलावा यह सवाल भी उठता है कि बंगाल हिंसा की जांच का काम जब सीआईडी को सौंपा गया है तो उससे पहले ही मुख्यमंत्री ने एक पक्ष को क्लीन चिट देने जैसा बयान क्यों दे दिया? क्या ऐसे में जाँच निष्पक्ष तरीके से हो पायेगी? सवाल यह भी उठता है कि देश में लोकतंत्र के खतरे में होने संबंधी दावा कर रही तृणमूल कांग्रेस बंगाल में कानून व्यवस्था को क्यों नहीं संभाल पा रही है?
बहरहाल, जहां तक भाजपा के आरोपों की बात है तो केंद्र में सत्तारुढ़ पार्टी ने आरोप लगाया है कि पश्चिम बंगाल में हुई हालिया हिंसा राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा रचे गए एक सुनियोजित षड्यंत्र का परिणाम थी। इसी के साथ ही भाजपा ने ममता बनर्जी के इस्तीफे की मांग की है। भाजपा सांसदों ने इस विषय में केंद्र से हस्तक्षेप करने का आग्रह करते हुए हिंसा की एनआईए से जांच कराने की भी मांग की है। हुगली से भाजपा सांसद लॉकेट चटर्जी ने तो आरोप लगाया है कि रामनवमी के दिन से पश्चिम बंगाल में हुई हिंसा की घटनाएं ममता बनर्जी द्वारा रचे गए एक सुनियोजित षड्यंत्र का परिणाम हैं। उन्होंने तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी पर तुष्टीकरण की राजनीति करने का भी आरोप लगाया और दावा किया कि ‘‘पश्चिम बंगाल में हिंदू खतरे में हैं।’’

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