बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने शुक्रवार को कहा कि उनकी पार्टी किसी भी क्षेत्रीय दल के साथ गठबंधन नहीं करेगी। उनकी घोषणा हाल ही में संपन्न हरियाणा विधानसभा चुनावों में पार्टी के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद हुई, जिसमें उन्होंने एक क्षेत्रीय पार्टी के साथ लड़ाई लड़ी और एक भी सीट नहीं जीत सकी। इसके साथ ही उन्होंने यह भी दादा किया कि भाजपा और कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधनों से भी उनकी दूरी बरकरार रखेगी।
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उत्तर प्रदेश के चार बार के पूर्व मुख्यमंत्री ने हिंदी में पोस्ट की एक श्रृंखला में कहा कि यूपी सहित दूसरे राज्यों के चुनाव में भी बीएसपी का वोट गठबंधन की पार्टी को ट्रांसफर हो जाने किन्तु उनका वोट बीएसपी को ट्रांसफर कराने की क्षमता उनमें नहीं होने के कारण अपेक्षित चुनाव परिणाम नहीं मिलने से पार्टी कैडर को निराशा व उससे होने वाले मूवमेन्ट की हानि को बचाना जरूरी। उन्होंने आगे कहा कि इसी संदर्भ में हरियाणा विधानसभा के चुनाव परिणाम व इससे पहले पंजाब चुनाव के कड़वे अनुभव के मद्देनजर आज हरियाणा व पंजाब की समीक्षा बैठक में क्षेत्रीय पार्टियों से भी अब आगे गठबंधन नहीं करने का निर्णय, जबकि भाजपा/एनडीए व कांग्रेस/इण्डिया गठबंधन से दूरी पहले की तरह ही जारी रहेगी।
बसपा प्रमुख ने कहा कि देश की एकमात्र प्रतिष्ठित अम्बेडकरवादी पार्टी बीएसपी व उसके आत्म-सम्मान व स्वाभिमान मूवमेन्ट के कारवाँ को हर प्रकार से कमजोर करने की चौतरफा जातिवादी कोशिशें लगातार जारी हैं, जिस क्रम में अपना उद्धार स्वंय करने योग्य व शासक वर्ग बनने की प्रक्रिया पहले की तरह ही जारी रखनी जरूरी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि बीएसपी विभिन्न पार्टियों/संगठनों व उनके स्वार्थी नेताओं को जोड़ने के लिए नहीं, बल्कि ’बहुजन समाज’ के विभिन्न अंगों को आपसी भाईचारा व सहयोग के बल पर संगठित होकर राजनीतिक शक्ति बनाने व उनको शासक वर्ग बनाने का आन्दोलन है, जिसे अब इधर-उधर में ध्यान भटकाना अति-हानिकारक है।
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बसपा ने हरियाणा चुनाव इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी) के साथ गठबंधन में लड़ा था। चुनाव आयोग के अनुसार, 90 सदस्यीय विधानसभा सदन में, भाजपा ने 48 सीटें जीतकर ऐतिहासिक तीसरी बार कार्यकाल प्राप्त किया, जबकि कांग्रेस 37 और इनेलो केवल दो सीटों पर जीत हासिल कर पाई, जबकि तीन सीटें निर्दलीय उम्मीदवारों को मिलीं।