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‘हकीकत कम और हवा-हवाई ज्यादा…’, संसद में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण पर मायावती की प्रतिक्रिया

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने गुरुवार को संसद के संयुक्त सत्र में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के संबोधन की आलोचना की। एक्स पर एक पोस्ट में, बसपा प्रमुख ने कहा कि आज राष्ट्रपति जी ने अपने अभिभाषण में संसद के संयुक्त सत्र को सम्बोधित करते हुये जो केन्द्र सरकार की पिछले 10 वर्षों की उपलब्धियाँ गिनाई है तो वो जमीनी हकीकत में बहुत कम तथा हवा-हवाई ज्यादा है। उन्होंने आगे लिखा कि साथ ही केन्द्र सरकार देश में आयदिन बढ़ रही गरीबी, बेरोजगारी व मंहगाई तथा कमजोर वर्गों की समस्याओं को भी लेकर कतई गम्भीर नहीं है। इनके आगे के 5 वर्षों के रोडमैप में भी कोई खास दम नहीं है।
 

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बसपा प्रमुख ने कहा कि बेहतर होगा कि राष्ट्रपति जी के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर सांसदो को केवल आरोप व प्रत्यारोप लगाने की वजाय बल्किी जनहित के जरूरी मामलो में सरकार का ध्यान जरूर आकर्षित कराना चाहिये। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बृहस्पतिवार को कहा कि पिछले 10 साल के दौरान देश की उपलब्धियों और विकास का आधार गरीबों का सशक्तीकरण रहा है तथा उनकी सरकार ने पहली बार गरीबों को अहसास कराया कि वह उनकी सेवा में है। मुर्मू ने 18वीं लोकसभा में पहली बार संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार ने गरीबों के जीवन की गरिमा से लेकर उनके स्वास्थ्य तक को राष्ट्रीय महत्व का विषय बनाया है। 
मुर्मू ने कहा कि सरकार पेपर लीक की हालिया घटनाओं की निष्पक्ष जांच कराने और दोषियों को सजा दिलाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। हाल में हुए संसदीय चुनाव के दौरान जम्मू कश्मीर में मतदान के कई रिकॉर्ड टूटने का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि इन चुनाव के जरिए घाटी ने देश के दुश्मनों को करारा जवाब दिया है।  राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देश में 1975 में लागू आपातकाल को ‘संविधान पर सीधे हमले का सबसे बड़ा और काला अध्याय’ बताते हुए गुरुवार को कहा कि ऐसे अनेक हमलों के बावजूद देश ने असंवैधानिक ताकतों पर विजय प्राप्त करके दिखाई। 
 

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उन्होंने कहा कि भारत का संविधान, बीते दशकों में हर चुनौती, हर कसौटी पर खरा उतरा है और जब संविधान बन रहा था, तब भी दुनिया में ऐसी ताकतें थीं, जो भारत के असफल होने की कामना कर रही थीं। लोकतंत्र को कमजोर करने और समाज में दरारें डालने की साजिश रचने वाली विघटनकारी ताकतों से आगाह करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बृहस्पतिवार को कहा कि इस चुनौती से निपटने के लिए नए रास्ते खोजने की जरूरत है। 

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