पीडीपी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने शनिवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के प्रमुख यासीन मलिक के मामले की फिर से जांच होनी चाहिए क्योंकि भारत जैसे लोकतंत्र में प्रधानमंत्री के हत्यारों को भी माफ कर दिया जाता है। उनकी टिप्पणी राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा अलगाववादी नेता नेता को मौत की सजा दिए जाने की याचिका के एक दिन बाद आई है। पिछले साल एक आतंकी फंडिंग मामले में दिल्ली की एक अदालत ने यासीन मलिक उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इसको लेकर महबूबा ने एक ट्वीट किया है। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि भारत जैसे लोकतंत्र में जहां प्रधानमंत्री के हत्यारों को भी माफ कर दिया जाता है, यासीन मलिक जैसे राजनीतिक कैदी के मामले की समीक्षा और पुनर्विचार किया जाना चाहिए।
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महबूबा ने यह भी कहा कि उनकी फांसी का समर्थन करने वाले नए राजनीतिक इखवान हमारे सामूहिक अधिकारों के लिए गंभीर खतरा हैं। महबूबा ने अपने पार्टी के पूर्व नेता अल्ताफ बुखारी के एक ट्वीट पर यह बात कही है। उन्होंने कहा था कि देश की सुरक्षा को खतरे में डालने की कोशिश करने वालों के खिलाफ निवारक उपाय किए जाने चाहिए। उल्लेखनीय है कि एनआईए ने शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख कर कश्मीरी अलगाववादी नेता को मौत की सजा दिये जाने का अनुरोध किया। एनआईए की याचिका को न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति तलवंत सिंह की पीठ के समक्ष 29 मई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।
In a democracy like India where even the assassins of a PM were pardoned, the case of a political prisoner like Yasin Malik must be reviewed & reconsidered. The new political ikhwan gleefully supporting his hanging are a grave threat to our collective rights. pic.twitter.com/dKD7GFe5kz