मदर टेरेसा द्वारा कोलकाता शहर के एंटली इलाके में एक झोपड़पट्टी में गरीबों के लिए अपना काम शुरू करने के पचहत्तर साल बाद, मिशनरीज ऑफ चैरिटी (एमओसी) ने रविवार को घोषणा की कि उसे उस भूखंड का आधिकारिक कब्जा मिल गया है।
मोतीझील निर्मल हृदय गृह को संत टेरेसा 1948 में आसपास की झुग्गियों के बीमार, गरीबों और बेसहारा लोगों की मदद करने और उनकी देखभाल करने के लिए अक्सर इस्तेमाल करती थीं, जबकि वह पास के लोरेटो हाउस एंटली कॉन्वेंट हॉस्टल में एक नन के रूप में रहती थीं।
मोतीझील निर्मल हृदय गृह की देखभाल मिशनरीज ऑफ चैरिटी द्वारा की जाती थी।
हालांकि किरायेदारी से संबंधित विभिन्न कानूनी जटिलताओं के कारण एमओसी को उक्त भूखंड पर हाल तक आधिकारिक कब्जा नहीं मिल सका।
तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद डेरेक ओ ब्रायन की पहल पर, जटिलताओं को सुलझाया गया और एमओसी आखिरकार उक्त भूखंड की कानूनी मालिक बन गई।
इस घटनाक्रम के बारे में रविवार को सार्वजनिक घोषणा करने वाली एमओसी की सुपीरियर जनरल सिस्टर एम जोसेफ ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘यह जगह हमें सौंपने को सुविधाजनक बनाने से संबंधित राज्य सरकार का कदम एक अच्छा भाव है।’’
सिस्टर जोसेफ को जिन्हें पिछले साल सुपीरियर जनरल चुना गया था उन्होंने कहा, ‘‘संत टेरेसा की तरह, जिन्हें हर कोई मदर के रूप में पूजता है, हम सिस्टर यहां रह सकती हैं और गरीबों की सेवा कर सकती हैं।