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कभी मोदी को बताया कश्मीर के लिए बेस्ट PM तो राहुल को जूतों से पिटाई करवाने की बात कह डाली, पुलवामा पर सत्यपाल मलिक के दावे को कितनी गंभीरता से लिया जा सकता है?

मेघालय के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक इन दिनों अपने बयानों की वजह से लगातार सुर्खियों में हैं। कभी जम्मू कश्मीर आतंकी घटना को लेकर बयान सामने आता है तो कभी किसान आंदोलन के मुद्दे पर केंद्र और प्रदर्शनकारी किसानों के बीच मध्यस्थता की बात कह डालते हैं। लेकिन अब सत्यपाल मलिक के एक बड़ा दावा किया है। जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने दावा किया है कि वह 14 फरवरी, 2019 के पुलवामा हमले के बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संपर्क में थे, जिसमें सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे और प्रधानमंत्री ने उनसे कुछ खामियों पर चुप रहने को कहा था। कांग्रेस ने फरवरी 2019 के पुलवामा आतंकी हमले को 2019 के लोकसभा चुनावों में राष्ट्रीय सुरक्षा और खुफिया तंत्र की “विफलता” की ओर इशारा करते हुए प्रमुख मुद्दों में से एक बना दिया था। अब ऐसे में पूर्व राज्यपाल के बयान सामने आने के बाद जम्मू कश्मीर के पुलवामा में आतंकी हमले को लेकर कांग्रेस ने एक बार फिर से केंद्र की मोदी सरकार को निशाने पर लिया। कांग्रेस ने ट्वीट में पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का बयान शेयर करते हुए ट्वीट में लिखा कि नरेंद्र मोदी जी जी, पुलवामा हमला और उसमें 40 जांबाजों की शहादत आपकी सरकार की गलती से हुई। अगर हमारे जवानों को एयरक्राफ्ट मिल जाता तो आतंकी साजिश नाकाम हो जाती। आपको तो इस गलती के लिए एक्शन लेना था और आपने ना सिर्फ इस बात को दबाया पर अपनी छवि बचाने में लग गए। पुलवामा पर सत्यपाल मलिक की बात सुनकर देश स्तब्ध है।

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पुलवामा हमले को लेकर सत्यपाल मलिक ने क्या किया दावा

अगस्त 2018 से अक्टूबर 2019 तक जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रहे मलिक ने द वायर के लिए करण थापर को दिए एक साक्षात्कार में दावा किया कि गृह मंत्रालय ने सीआरपीएफ द्वारा अपने कर्मियों को ले जाने के लिए मांगे गए पांच विमान उपलब्ध कराने से इनकार कर दिया था, जिसके परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में सुरक्षा व्यवस्था में चूक हुई थी। एक काफिले में सड़क मार्ग से जा रहे कर्मी और एक घातक आतंकवादी घात का निशाना बन गए। मलिक ने कहा कि सीआरपीएफ के लोगों ने अपने लोगों को ले जाने के लिए विमान मांगा था, क्योंकि इतना बड़ा काफिला आम तौर पर सड़क मार्ग से यात्रा नहीं करता है।” उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय से अनुरोध किया गया था, लेकिन उन्होंने देने से इनकार कर दिया। मलिक ने कहा कि अगर उन्होंने मुझसे पूछा होता, तो मैं उन्हें विमान दे देता। उन्हें पांच विमान चाहिए थे। यह प्रदान नहीं किया गया था। “मैंने उसी शाम प्रधानमंत्री को (यह) बताया … कि ये हमारी गलती से हुआ है। अगर हम एयरक्राफ्ट दे देते तो ये नहीं होता। उन्होंने मुझे कहा कि तुम अब चुप रहो। मैंने उनसे कहा कि यह हमारी गलती थी और मैंने पहले ही कुछ चैनलों को यह बता दिया था … उन्होंने कहा कि यह सब मत कहो … ये कोई और चीज़ है …. वो हमें बोलने दो। मलिक ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने भी उन्हें चुप रहने के लिए कहा था। उन्होंने कहा कि मैं आपके साथ साझा कर सकता हूं कि मैंने महसूस किया था कि सारा दोष पाकिस्तान पर डाला जा रहा है इसलिए मुझे चुप रहना होगा। 

राहुल को लेकर दिया था विवादित बयान

सत्यपाल मलिक इन दिनों बीजेपी के धुर विरोधी जरूर है, वहीं कांग्रेस उनके बयानों को ट्वीट भी खूब कर रही है। लेकिन इसके साथ ही उनका एक पुराना बयान भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है जिसमें वो कहते नजर आ रहे हैं कि राहुल गांधी के लिए मैं इस लिए नहीं बोलना चाहता कि वो देश के प्रतिष्ठित परिवार का लड़का है। लेकिन उसने पॉलिटिक्स जुवेनाइल की तरह व्यवहार किया है। यही वजह है कि यूएन में उनके बयान को पाकिस्तान की चिट्ठी में दर्ज किया गया है। ऐसा नहीं करना चाहिए था। उनके विरोधियों को कुछ कहने की जरूरत नहीं है। बस उस दिन वे सिर्फ ये कह देंगे कि ये 370 के हिमायती है। लोग जूतों से मारेंगे। 

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मोदी को बताया कश्मीर के लिए बेस्ट पीएम

केंद्र की कश्मीर पॉलिसी को लेकर कौन सी सरकार बेहतर थी पूछे जाने पर सत्यपाल मलिक ने साल 2018 में दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि नरेंद्र मोदी सरकार सबसे बेहतर है। 80 हजार करोड़ रुपए मोदी सरकार ने कश्मीर के विकास के लिए दिया है। बातचीत, भावना की बात करें तो अटल जी बहुत अच्छे थे। लेकिन विजन और व्यावहारिकता की बात करें तो मोदी जी बेस्ट हैं। 

राजनीति में कोई स्थायी शत्र या हमेशा मित्र नहीं होता

राजनीति में ऐसा शायद ही कोई रहा हो जिससे सत्यपाल मलिक की दोस्ती न रही हो। आपातकाल का भले ही उन्होंने पुरजोर विरोध किया हो। लेकिन उनकी दोस्ती इंदिरा गांधी से भी रही और आपातकाल के सूत्रधार संजय गांधी से भी। लाल कृष्ण आडवानी से भी उनके संबंध बेहद अच्छे रहे और अहमद पटेल से भी। फारुक अब्दुल्ला से लेकर गुलाम नबी आजाद तक हर कोई उनका दोस्त है। 

कैसे बने कश्मीर के राज्यपाल

सत्य पाल मलिक 2019 में जम्मू और कश्मीर के राज्यपाल थे, जब पूर्ववर्ती राज्य ने संविधान के अनुच्छेद 370 के रूप में ऐतिहासिक परिवर्तन देखे थे। सरकार ने अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को मिले विशेष दर्जे को खत्म कर दिया और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया।  महीनों बाद, सत्य पाल मलिक को गोवा के 18वें राज्यपाल के रूप में स्थानांतरित कर दिया गया। सत्य पाल मलिक ने अक्टूबर 2022 तक मेघालय के 21वें राज्यपाल के रूप में काम किया। लेकिन राज्यपाल बनने के बाद उनका एक सेम पैटर्न देखने को मिला। जब भी वो किसी दूसरे राज्य के राज्यपाल बनते तो पिछले वाले की  बुराई करने लग जाते। जनवरी 2019 में कश्मीर पहुंचकर उन्होंने कहा था कि जे एंड के दूसरे राज्यों की तरह ही है। यहां कोई कत्लेआम नहीं चल रहा है। जितनी मौते कश्मीर में एक हफ्ते में होती है उतने मर्डर तो पटना में एक दिन में हो जाते हैं। बता दें कि मलिक कश्मीर से पहले बिहार के राज्यपाल थे। फिर जब वो गोवा पहुंचे तो अपने तल्ख बयान जारी रखे। यहां उन्होंने कहा कि गोवा में कोरोना काल में हर मामले में भ्रष्टाचार हो रहा था। मैंने प्रधानमंत्री को ये बात बताई थी। फिर उन्हें मेघालय भेजा गया। 

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