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Roti-Beti का रिश्ता रखने वाले India-Nepal के संबंधों को Modi-Prachanda ने हिमालय की ऊंचाइयों पर पहुँचाया

नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड भले चीन समर्थक माने जाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के समर्थन से अपनी सरकार चला रहे हों लेकिन भारत के साथ अपने देश के गहरे रिश्तों को वह हमेशा महत्व देते हैं। दोनों देशों के संबंधों को प्रगाढ़ बनाने और विवादों को सुलझाने के उनके प्रयास दर्शाते हैं कि वह इस दिशा में गंभीरता के साथ काम कर रहे हैं। प्रधानमंत्री बनने के बाद अपने पहले विदेश दौरे पर प्रचंड भारत पहुँचे तो यहां घर जैसा ही उनका स्वागत हुआ और खुद नेपाली प्रधानमंत्री भी भारत के रंग में रंगे नजर आये। यही नहीं, भारत ने नेपाली प्रधानमंत्री को इस यात्रा के दौरान जो बड़ी सौगातें दी हैं वह निश्चित ही इस पड़ोसी देश की जनता को व्यापक लाभ पहुँचायेंगी और संबंधों को भी मजबूती प्रदान करेंगी।
प्रधानमंत्री मोदी का संबोधन
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी अपने नेपाली समकक्ष पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ के साथ व्यापक वार्ता के बाद कहा है कि भारत और नेपाल अपने द्विपक्षीय संबंधों को हिमालयी ऊंचाइयों पर ले जाने और सीमा मुद्दे सहित सभी मामलों को इसी भावना के साथ हल करने का प्रयास करेंगे। बैठक के बाद मीडिया को दिए बयान में मोदी ने कहा कि उन्होंने और प्रचंड ने भविष्य में दोनों देशों के बीच साझेदारी को ‘सुपर हिट’ बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं। प्रचंड की मौजूदगी में मोदी ने कहा, ‘‘हम अपने संबंधों को हिमालय की ऊंचाइयों पर ले जाने का प्रयास जारी रखेंगे। और इसी भावना के साथ हम सभी मुद्दों का समाधान करेंगे, चाहे वह सीमा से जुड़ा हो या कोई अन्य मुद्दा।”

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नेपाली प्रधानमंत्री का संबोधन
वहीं, प्रचंड ने अपनी टिप्पणियों में कहा कि उन्होंने और मोदी ने संबंधों में प्रगति की ‘व्यापक समीक्षा’ की और संबंधों एवं सहयोग को और मजबूत करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। नेपाली प्रधानमंत्री ने कहा कि वह मोदी की ‘पड़ोस पहले की नीति’ की सराहना करते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘नेपाल और भारत के बीच संबंध सदियों पुराने और बहुआयामी हैं। यह संबंध एक तरफ सभ्यतागत, सांस्कृतिक और सामाजिक-आर्थिक संबंधों की समृद्ध परंपरा से निर्मित ठोस नींव पर खड़ा है तो दूसरी तरफ संप्रभु समानता, आपसी सम्मान, समझ और सहयोग के समय की कसौटी पर खरे उतरे सिद्धांत के प्रति दोनों देशों की दृढ़ प्रतिबद्धता पर।’’ उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों ने व्यापार, ट्रांजिट, निवेश, पनबिजली, बिजली व्यापार, सिंचाई, बिजली पारेषण लाइन, पेट्रोलियम पाइपलाइन के विस्तार, एकीकृत जांच चौकी और भूमि और हवाई संपर्क सहित विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को और मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा की। उन्होंने कहा, ‘‘हम प्रधानमंत्री मोदी के कुशल नेतृत्व में भारत के आर्थिक और विकास परिदृश्य के उल्लेखनीय बदलाव को देखकर खुश हैं। मैं कई मोर्चों पर दूरगामी उपलब्धियों के साथ सरकार में नौ साल पूरे होने पर प्रधानमंत्री मोदी को बधाई देता हूं।’’
विभिन्न परियोजनाओं की शुरुआत
वार्ता के बाद मोदी और प्रचंड ने संयुक्त रूप से कई बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की शुरुआत की। उन्होंने कई योजनाओं का उद्घाटन और कुछ का शिलान्यास भी किया। दोनों पक्षों ने सीमा पार पेट्रोलियम पाइपलाइन के विस्तार, एकीकृत जांच चौकियों के विकास और पनबिजली में सहयोग बढ़ाने सहित विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए सात समझौतों पर भी हस्ताक्षर किए। दोनों नेताओं ने भारत के रुपईडीहा और नेपाल के नेपालगंज में एकीकृत जांच चौकियों का डिजिटल माध्यम से उद्घाटन किया। उन्होंने बिहार के बथनाहा से नेपाल कस्टम यार्ड के लिए एक मालवाहक रेलगाड़ी को भी हरी झंडी दिखाई। हस्ताक्षरित प्रमुख समझौतों में से एक ट्रांजिट की संशोधित भारत-नेपाल संधि थी। इसमें नेपाल के लोगों के लिए नए रेल रेल मार्गों के साथ ही भारत की अंतरदेशीय जलमार्ग सुविधा का भी प्रावधान किया गया है।
नेपाली प्रधानमंत्री का कार्यक्रम
हम आपको बता दें कि नेपाली नेता चार दिवसीय यात्रा पर बुधवार को दिल्ली पहुंचे थे। उन्होंने बुधवार को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल से भी मुलाकात की थी। दिसंबर 2022 में कार्यभार संभालने के बाद नेपाल के प्रधानमंत्री की यह पहली द्विपक्षीय विदेश यात्रा है। प्रचंड के साथ उनकी बेटी गंगा दहाल भी आयी हैं। प्रचंड के साथ मंत्रियों, सचिवों और वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों का प्रतिनिधिमंडल भी आया है। नेपाल के प्रधानमंत्री के रूप में प्रधानमंत्री ‘प्रचंड’ की यह चौथी भारत यात्रा है। काठमांडू लौटने से पहले नेपाली प्रधानमंत्री का मध्य प्रदेश के उज्जैन और इंदौर का दौरा करने का भी कार्यक्रम है।
भारत-नेपाल संबंधों की अहमियत
देखा जाये तो नेपाल, क्षेत्र में अपने समग्र रणनीतिक हितों के संदर्भ में भारत के लिए महत्वपूर्ण है और दोनों देशों के नेताओं ने अक्सर सदियों पुराने ‘रोटी-बेटी’ संबंधों पर ध्यान दिया है। यह दोनों देशों के लोगों के बीच ब्याह शादी के रिश्तों को संदर्भित करता है। नेपाल पांच भारतीय राज्यों- सिक्किम, पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के साथ 1,850 किलोमीटर से अधिक सीमा साझा करता है। चारों ओर से जमीन से घिरा नेपाल वस्तुओं और सेवाओं के परिवहन के लिए भारत पर बहुत अधिक निर्भर करता है। समुद्र तक नेपाल की पहुंच भारत के माध्यम से है और वह भारत से तथा उससे होते हुए अपनी आवश्यकताओं का एक प्रमुख अनुपात आयात करता है। साल 1950 की भारत-नेपाल शांति और मैत्री संधि दोनों देशों के बीच विशेष संबंधों का आधार है।

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